Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the ad-inserter domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the json-content-importer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the add-search-to-menu domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
नफ्स के साथ जिहाद बेहतरीन जिहाद है – Net In Hindi.com

नफ्स के साथ जिहाद बेहतरीन जिहाद है

दोस्तों को शेयर कीजिये

नफ्स का गलबा और शैतान की दुश्मनी

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

Color Codes –  कुरआन मजीदहदीसे पाककौल (Quotes).

 

हर अक़लमंद के लिए यह ज़रूरी है की वह भूका रहकर ख्वाइशों का खात्मा करे इसलिए की भूक उस दुश्मने खुदा “नफ्स” के लिए कहर है, शैतान की कामयाबी का वसीला यही ख्वाइशें और खाना पीना है, फरमाने नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है की

“शैतान तुम्हारे जिस्म में खून की तरह गर्दिश करता है उस के इन रास्तों को भूक से बंद करो.”

 

बिला शुबह क़यामत के दिन वही शख्श अल्लाह ताआला से ज़्यादा करीब होगा जिसने भूक और प्यास बर्दाश्त की होगी और इब्ने आदम के लिए सबसे ज़्यादा बर्बाद करने वाली चीज़ें पेट की ख्वाइशें हैं, इस पेट की बदौलत हजरते आदम और हव्वा अलैहमुससलाम जन्नत से ज़िल्लत और फकर और फाका की ज़मीन पर उतारे गए जब की रब्बे करीम ने उन्हें शजरे मम्नूआ के खाने से मना कर दिया था तो उन्होंने पेट की ख्वाइशों की बिना पर उसे खा लिया था, यही पेट हकीकत में शहवतों का चश्मा और मरकज़ है.

हकीमाना कौल –एक दाना (ज्ञानी) का कौल है, जिस इन्सान पर उस का नफ्स ग़ालिब आ जाता है वह ख्वाइशों का कैदी हो जाता है और बेहूदगी का ताबेअ व फर्माबरदार बन जाता है, उसका दिल तमाम फायदों से महरूम हो जाता है, जिस किसी ने अपने बदन के हिस्सों की ज़मीन को ख्वाइशों से सैराब किया उसने अपने दिल में शर्मिंदगी की खेती की.

 

अल्लाह ताआला ने मखलूक को तीन किस्मों पर पैदा फ़रमाया है.

  1. फरिश्तों को पैदा फ़रमाया, उन में अक्ल रखी मगर उन्हें ख्वाइशों से पाक साफ़ रखा.
  2. जानवरों को पैदा किया उन में ख्वाइशें रखी मगर अक्ल से खाली कर दिया.
  3. इन्सान को पैदा किया, उन में अक्ल और शहवत दोनों पैदा फरमाई. अब जिस इन्सान की अक्ल पर उसकी शहवत ग़ालिब आ जाती है, वह जानवरों से बदतर है और जिस मुसलमान की शहवत पर उस की अक्ल ग़ालिब आ जाती है वह फरिश्तों से भी बेहतर है.

 

हिकायत – जनाब इब्राहीम रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं की मैं लस्काम के पहाड़ में था, वहां मेने अनार देखे और मेरे दिल में उन्हें खाने की ख्वाइश हुई चुनाचे मैंने एक अनार उठा कर उसे दो टुकड़े किया मगर वह खट्टा निकला लिहाज़ा मै ने उसे फेक दिया और चल पड़ा, चंद कदम आगे जाकर मैंने एक ऐसे शख्श को देखा जो ज़मीन पर पड़ा हुआ था और उस पर भिड़े चिमटी हुयी थी, मैंने उसे सलाम कहा और उस शख्श ने मेरा नाम लेकर सलाम का जवाब दिया मैंने हैरत से पुछा आप मुझे कैसे पहचानते हैं? उस खुदा के बन्दे ने जवाब दिया जो अपने खुदा को पहचान लेता है फिर उस से कोई चीज़ पोशीदा नहीं रहती, मेने कहा तब तो तुम्हारा बारगाहे खुदा बंदी में बहुत बड़ा मकाम है, तुम यह दुआ क्यों नहीं करते की यह जो तुम्हे चिमटी हुई हैं तुम से दूर हो जाएँ, उस ने कहा मै जनता हूँ की अल्लाह के यहाँ तुम्हारा भी बड़ा बड़ा मकाम है तुमने यह दुआ क्यों नहीं मांगी की अल्लाह ताआला तुझे अनार खाने की ख्वाइश से बचा लेता क्यों की भीड़ों की तकलीफ दुनियावी अज़ाब है मगर अनार खाने की सजा आखिरत का अज़ाब है, यह भिड़े तो इन्सान के बदन पर डसती हैं मगर ख्वाइशें इन्सान के दिल को डस लेती हैं. मैं यह नसीहत आमोज गुफ्तगू सुन कर वहां से अपनी मंजिल की तरफ रवाना हो गया.

शाहवात, बादशाहों को फ़कीर और सब्र फकीरों को बादशाह बना देता है. आपने हजरते युसूफ अलैह हिस सलाम और जुलेखा का किस्सा नहीं पढ़ा? युसूफ अलेहहिससलाम सब्र की बदौलत मिस्र के बादशाह बन गए और जुलेखा ख्वाइशों की वजह से आज़िज़ व रुसवा और बसारत से महरूम बुढिया बन गई इसलिए की ज़ुलैखा ने हजरते युसूफ अलैहहिस्सलाम की मोहब्बत में सब्र नहीं किया था.

 

हज़रते अबुल हसन राज़ी ने अपने वालिद को ख्वाब में देखा

जनाब अबुल हसन राज़ी रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं की मैंने अपने वालिद को उन के इन्तेकाल के दो साल बाद ख्वाब में इस हाल में देखा की उन के जिस्म पर जहन्नम के कीर (तारकोल) का लिबास था. मैंने पुछा अब्बा जान यह क्या हुआ ? मै आप को जहन्नामियों के लिबास में देख रहा हूँ ? मेरे वालिद ने फ़रमाया, ए फरजंद मुझे मेरा नफ्स जहन्नुम में ले गया उस के धोके में कभी ना आना – अशआर

में उन चार दुश्मनों से घिरा हुआ हूँ जो मेरी बद बख्ती और गुनाह की ज़्यादती की वजह से मुझ पर ग़ालिब आ गए हैं.

शैतान, नफ्स, दुनिया और ख्वाइशें इन से कैसे छुटकारा मिल सकता है हालाँकि यह चारो मेरे जानी दुश्मन हैं.

में देखता हूँ की खुदबीनी और शाहवात की ज़ुल्मत में मेरे दिल को ख्वाहिशात अपनी तरफ बुलाती रहती हैं.       

जनाब हातीमे असम रहमतुल्लाह अलैह का कौल है “नफ्स मेरा अस्तबल है, इल्म मेरा हथियार है, ना उम्मीदी मेरा गुनाह है, शैतान मेरा दुश्मन है, और मै नफ्स के साथ धोका करने वाला हूँ”.

आरिफाना नुक्ता :- एक अल्लाह वाले का कौल है की

जिहाद की तीन किस्मे हैं

1 कुफ्फार के साथ जिहाद और यह जिहाद ए ज़ाहिरी है.

2 झूठे लोंगों के साथ इल्म और दलीलों से जिहाद

3 बुराइयों की तरफ ले जाने वाले सरकश नफ्स से जिहाद

 

नफ्स के बारे में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का इर्शादे गिरामी 

और नबीए करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फरमान है

“नफ्स के साथ जिहाद बेहतरीन जिहाद है”.

सहबाए किराम रिज्वानुल्लाहे अलैहिम  जब जिहाद से वापस आते तो कहते हम छोटे जिहाद से बड़े जिहाद की तरफ लौट आयें हैं, और साहबा ने नफ्स शैतान और ख्वाइशों से जिहाद को कुफ्फार के साथ जिहाद करने से इसलिए अकबर और अज़ीम कहा क्यों की नफ्स से जिहाद हमेशा जारी रहता है और कुफ्फार के साथ कभी कभी होगा.

दूसरी वजह यह है की कुफ्फार के साथ जिहाद में गाज़ी अपने दुश्मन को सामने देखता रहता है, मगर शैतान नज़र नहीं आता और दिखाई देने वाले दुश्मन से लडाई बनिस्बत छुप कर वार करने वाले दुश्मन से आसान होती है.एक वजह और भी है की काफ़िर के साथ गाज़ी की हमदर्दियाँ कतई नहीं होती जब की शैतान के साथ जिहाद करने में नफ्स और ख्वाइशें शैतान की हामी ताक़तों में शुमार होते हैं, इसलिए यह मुकाबला सख्त होता है.

एक बात और भी है की अगर गाज़ी काफ़िर को क़त्ल कर दे तो माल ए गनीमत और फ़तह हांसिल करता है और अगर शहीद हो जाये तो जन्नत का मुस्ताहिक बन जाता है मगर इस जिहादे अकबर में वह शैतान के क़त्ल पर कादिर नहीं और अगर उसे शैतान क़त्ल कर दे यानि सही रास्ते से भटका दे तो बंदा अज़ाबे इलाही का मुस्तहिक बन जाता है,

 

इसलिए कहा गया है की जंग के दिन जिस का घोडा भाग पड़े वह काफिरों के हाथ आ जाता है, मगर जिस का ईमान भाग जाये वह गज़बे ईलाही में फंस जाता है और जो काफिरों के हाथ फंस जाता है उस के हाथों और पांवों में हथकडिया और बेड़ियाँ नहीं डाली जाती, उसे भूका प्यासा और नंगा नहीं किया जाता मगर जो गज़बे ईलाही का मुस्तहिक हो जाये उस का मुह काला किया जाता है, उसकी मशकें कस कर जंजीरें डाल दी जाती हैं, उस के पैरों में आग की बेड़ियाँ डाली जाती हैं, उस का खाना पीना और लिबास सब जहन्नम की आग से तैयार होता है.

*** हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ.-किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

Tags

Nafs se jihad, Nafs ki khwaishen, nafs ko kaboo me karna,

           

दोस्तों को शेयर कीजिये
Net In Hindi.com