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नेकी करने और बुराई से बचने का हुक्म अम्र बिल माअरूफ – Net In Hindi.com

नेकी करने और बुराई से बचने का हुक्म अम्र बिल माअरूफ

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अम्र बिल मा अ रूफ व नही अनिल मुन्कर नेकी करने और बुराई से बचने का हुक्म

हज़रत अनस बिन मालिक राज़ी अल्लाहो अन्हो कहते हैं हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया की “जब कोई बंदा मुझ पर एक मर्तबा दुरुद भेजता है तो अल्लाह ताआला उस की सांसों से एक सफ़ेद बादल पैदा करता है, फिर उस बादल को रहमत के समुन्दर से इस्तेफ़ादा करने का हुक्म मिलता है उस के बाद उसे बरसने का हुक्म मिलता है, उस का जो कतरा ज़मीन पर पड़ता है उस से अल्लाह ताआला सोना, जो पहाड़ों पर पड़ता है, उस से चांदी पैदा करता है और जो क़तरा किसी काफ़िर पर पड़ता है तो उसे ईमान की दौलत अता होती है.

सबसे बेहतर उम्मत

 फरमाने इलाही है

“तुम बेहतर हो उन सब उम्मतों में जो लोगो में ज़ाहिर हुई. भलाई का हुक्म देते हो और बुराई से मना करते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो.

जनाबे कलबी रहमतुल्लाह अलैह का कौल है की इस आयत में उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की तमाम दूसरी उम्मतों पर फ़ज़ीलत का बयान है और उम्मते इस्लामिया बिना किसी कैद के तमाम उम्मतों से बेहतर है और दूसरी उम्मतों के बनिस्बत इस की शुरुआत और आखिर दोनों बेहतर है. अगरचे ज़ाती  तौर पर कुछ हस्तियाँ बहुत ज्यादा फ़ज़ीलत व कमाल की मालिक थी जैसे सहाबा ए किराम रिज्वानुल्लाहे अलैहिम अजमईन के मुताल्लिक अहादीस में मौजूद है.

उख्रिजत का माना है तमाम वक्तों में लोगो के नफा और भलाई के लिए मुमताज़ हैसियत देकर उन्हें भेजा गया, फरमान ए बारी ताआला है

“ज़ाहिर हुई भलाई का हुक्म देते हो और बुराई से मना करते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो”

जुमला मुस्त्निफा है, इसमें यह बयां किया गया है की उम्मते इस्लामिया की फ़ज़ीलत इसलिए है की वह नेकी का हुक्म देते हैं और बुराई से रोकते हैं और अल्लाह पर ईमान रखते हैं, अगर वह इस रस्ते से हट जाएँ तो उन की फ़ज़ीलत बाकि नहीं रहेगी, वह काफिरों से जिहाद करते हैं ताकि वह इस्लाम ले आयें, इसलिए उन्होंने गैरों पर तरजीह दी गई नबी का फरमान है “बेहतरीन इन्सान वह है जो लोगो को नफा पहुंचाता है और बदतरीन इन्सान वह है जो लोगो को नुकसान पहुंचाता है.”

 वह अल्लाह की तौहीद एक होने की तस्दीक करते हैं और उस पर साबित कदम रहते हैं और मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की नुबुव्वत का इकरार करते हैं क्यों की जिस ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की नुबुव्वत को ना माना उस ने अल्लाह ता आला को नहीं माना इसलिए की वह हुज़ूर को दी हुई मोअज़िज़ बयान आयत को अल्लाह की तरफ से नहीं समझता है.

फरमाने नबवी है “तुम में से जो कोई किसी बुराई को देखे उसे चाहिए की बाजू की ताक़त से मिटा दे अगर उस की ताक़त ना हो तो ज़बान से, अगर यह भी ना कर सके तो उसे दिल में बुरा समझे और यह कमज़ोर तरीन ईमान है.” यानी यह ईमान वालों का कमज़ोर तरीन काम है.

बाज़ ने यह लिखा है हाथों से बुराई का ख़त्म करना हाकिमों के लिए ज़बान से बुराई के खिलाफ जिहाद उलमा के लिए और दिल में बुरा समझना अवाम के लिए है.

बाज़ का कौल है – जो शख्श जिस कुव्वत का मालिक हो उसे वही ताकत उस के मिटाने में खर्च करनी चाहिए और बुराई को मिटाना चाहिये. फरमाने इलाही है यहाँ “तआवनु” से मुराद नेकी की तरगीब देना, नेकी के रास्तों को आसान करना और शर व फसाद को हस्बे ताक़त बंद करने की कोशिश करना है. एक हदीस शरीफ में इरशाद हुआ “जिस ने किसी खिलाफ ए सुन्नत बात करने वाले को झिड़क दिया, अल्लाह ता आला उस के दिल को ईमान व इत्मिनान से भर देगा और जो ऐसे शख्स की तौहीन करता है अल्लाह ता आला उसे क़यामत के दिन बे खौफ कर देगा और जिस ने नेकी का हुक्म दिया और बुराइयों से रोका वह ज़मीन पर अल्लाह ता आला उस की किताब और उस के रसूल सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का खलीफा है.”

हजरते हुज़िफा रज़िअल्लाहो अन्हो का कौल है जल्द ही एक एसा वक़्त आने वाला है की लोगों को नेकी का हुक्म देने वाले और बुराई से रोकने वाले मोमिन से गधे का लाशा ज्यादा पसंदीदा होगा.

हजरते मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया – ए रब उस शख्श  का बदला क्या होगा जिसने अपने भाई को बुलाया, उसे नेकी का हुक्म दिया और बुराई से रोका रब ने फ़रमाया, उस के हर कलमे के बदले साल की इबादत लिख दी जाती है और मेरी रहमत को उसे जहन्नम में जलाते हुए शर्म आती है.

हदीसे कुदसी है अल्लाह ताआला फरमाता है “ऐ इन्सान! उस जैसा ना बन जो तौबा में देर करता है, उम्मीदें लम्बी रखता है और बगैर किसी अमल के आखिरत की तरफ लौटता है, बातें नेकों की करता है, अमल मुनाफिकों जैसा करता है, अगर उसे दे दिया जाये तो कनाअत नहीं करता, अगर ना दिया जाये तो सब्र नहीं करता, वह दूसरों को बुराइयों से रोकता है मगर खुद नहीं रुकता.”

 

आखिर ज़माने के बारे में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का इरशाद

इस जगह एक हदीस बयान करना मुनासिब है, हदीस बयान करने से पहले उस के रावी हज़रत अली रज़ीअल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया है की कसम खुदा की आसमान पर गिरना मेरे वास्ते आसां है लेकिन हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की तरफ से कोई झूटी बात मंसूब करना बहोत मुश्किल है. फिर हदीस बयान फरमाई मैंने हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को यह फरमाते हुए सुना है की आखिर ज़माने में नव उम्र और कम समझ लोगों की एक जमात निकलेगी, बातें बज़ाहिर अच्छी कहेंगे लेकिन ईमान उन के हलक से नीचे नहीं उतरेगा, वह दीन से ऐसे निकल जायेंगे जैसे तीर शिकार से निकल जाता है. पस तुम्हे उन्हें जहाँ पाना क़त्ल कर देना है की क़यामत के दिन उन के क़त्ल के लिए बड़ा अजर व सवाब है”

 

मोमिन के लिए ज़रूरी है की दूसरों को नेकी का हुक्म देते वक़्त खुद भी अमल करे

फरमाने नबवी है की मैंने मेअराज़ की रात ऐसे आदमी देखे जिन के होंट आग की केंचियों से काटे जा रहे थे मैंने जिब्रील से पुछा यह कौन लोग है? उन्हों ने कहा यह आप की उम्मत के खतीब है जो लोगो को नेकी का हुक्म करते हैं मगर अपने आप को भूल जाते हैं.

तर्जुमा – “क्या तुम नेकी का लोगों को हुक्म देते हो और अपने नफ्स को भूल जाते हो हालाँकि तुम कुरआन पढ़ते हो की तुम अक्ल नहीं रखते?”

लिहाज़ा मोमिनो के लिए ज़रूरी है की वह नेकी का हुक्म दे, बुराइयों से रोके मगर अपने आप को भी ना भूले जैसा की फरमाने इलाही है

मोमिन मर्द और मोमिन औरते एक दुसरे के साथी हैं, नेकी का हुक्म करते हैं और बुराई से रोकते हैं और नमाज़ अदा करते हैं.

इस आयत में अल्लाह ने मोमिनो की यह सिफत बयान की वह नेकी का हुक्म देते हैं अब जो नेकी का हुक्म देना बंद करे दे वह उस तारीफ की हुई जमात में नहीं है और अल्लाह ता आला ने उन कौमों की बुराई बयान की है जिन्हों ने अम्र बिल माअरूफ को छोड़ दिया था.

हज़रत अबू दरदा राज़ी अल्लाहो अन्हो से मरवी है उन्होंने कहा नेकी का हुक्म देते रहना और बुराई से रोकते रहना, नहीं तो अल्लाह ताआला तुम पर ऐसे हाकिम मुक़र्रर कर देगा जो तुम्हारे बुजुर्गों का एहतेराम नहीं करेगा, तुम्हारे बच्चों पर रहम नहीं करेगा, तुम्हारे बड़े बुलाएँगे लेकिन उन की बात नहीं मानी जाएगी, वह मददगार तलब करेंगे मगर उन की मदद नहीं की जाएगी और वह बख्शिश तलब करेंगे मगेर उन्हें नहीं बख्शा जायेगा.

उम्मुल मोमीनीन हजरते आयशा सिद्दीका राज़ी अल्लाहो अन्हा से मरवी है, हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया, अल्लाह ताआला ने गांव वालों पर अज़ाब भेजा, उन में अस्सी हज़ार ऐसे भी थे जिन्होंने अम्बिया की तरह नेक अमल किये थे, पुछा गया यह कैसे हुआ? आप ने फ़रमाया, वह अल्लाह के लिए (अल्लाह की नाफ़रमानी के सिलसिले में) किसी को बुरा नहीं समझते थे और ना ही वह नेकी का हुक्म देते और बुराइयों से रोकते थे.

ज़मीन पर शोहदा से बुलंद मर्तबा मुजाहीदीन का .     

हज़रत अबूज़र गफ्फारी रज़ीअल्लाहो अन्हो कहते हैं की हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ीअल्लाहो अन्हो ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से दरयाफ्त किया, मुशरिकों से लड़ने के अलावा कोई और भी जिहाद है? हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया “हाँ अबू बकर !अल्लाह की ज़मीन पर ऐसे मुजाहीदीन रहते हैं जो शहीदों से अफज़ल हैं, ज़मीन पर चलते फिरते हैं, रिज्क पते हैं अल्लाह ता आला फरिश्तों में उन पर फख्र करता है, उन के लिए जन्नत संवारी जाती है जैसे उम्मे सलमह  को नबी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के लिए संवारा गया.सिद्दिके अकबर ने पुछा वह कौन लोग हैं? आप ने फ़रमाया “वह नेकी का हुक्म करने वाले, बुराइयों से रोकने वाले, अल्लाह के लिए दुश्मनी और अल्लाह के लिए मोहब्बत करने वाले हैं.”

फिर फ़रमाया “मुझे उस ज़ात की कसम जिस के कब्ज़ा ए कुदरत में मेरी जान है एसा शख्स जन्नत में तमाम बाला खानों से ऊपर, यहाँ तक की शहीदों के बाला खानों से भी ऊपर एक बाला खाने में होगा जिस के याकूत और सब्ज़ ज़मुररद के तीन सौ दरवाज़े होंगे और हर दरवाज़ा नूर से मामूर होगा और वहां पर तीन सौ पाक दामन हूरों से उन की शादी की जाएगी, जब वह किसी एक हूर की तरफ मुतवज्जाह होगा वह कहेगी तुम्हे वह दिन याद है जब तुम ने नेकी का हुक्म दिया था और बुराई से रोका था? दूसरी कहेगी आप को वह जगह याद है जहाँ आप ने नहीं अनिल मुनकर और अमर बिल माअरूफ किया था?”

रिवायत है की अल्लाह ताआला ने मूसा अलैहिस्सलाम से फ़रमाया, तुम ने कभी मेरे लिए भी अमल किया है? मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया या अल्लाह मैंने तेरे लिए नमाज़े पढ़ी, रोज़े रखे, सदका दिया तेरे आगे सजदे किये, तेरी हमद की, तेरी किताब को पढ़ा, और तेरा ज़िक्र करता रहा. अल्लाह ता आला ने फ़रमाया ए मूसा ! नमाज़ तेरी दलील, रोज़ा तेरे लिए ढाल, सदका तेरे लिए साया, तस्बीह तेरे लिए जन्नत में दरख़्त, किताब की किरात तेरे लिए जन्नत में हूर व महल और मेरा ज़िक्र तेरा नूर है. बता तूने मेरे लिए क्या अमल किया? मूसा मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया ए रब्बे ज़ुल्ज़लाल मुझे बता वह कौन सा अमल है जो मै तेरे लिए करूँ? अल्लाह पाक ने फ़रमाया तु ने कभी मेरी वजह से किसी से मोहब्बत की? तू ने मेरी वजह से कभी किसी से दुश्मनी रखी? तब मूसा अलैहिस्सलाम समझ गए की सब से अच्छा अमल अल्लाह के लिए मोहब्बत और अल्लाह के लिए दुश्मनी रखना है.

हज़रत अबू उबैदा बिन ज़र्राह रज़ीअल्लाहो अन्हो कहते हैं मैं ने सरकारे रिसालत मआब सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से पुछा या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम अल्लाह की बारगाह में कौन से शहीद की ज्यादा इज्ज़त है? आप ने फ़रमाया “वह जवान जो ज़ालिम हाकिम के सामने गया और उसे नेकी का हुक्म दिया और बुराई से रोका और उसी के बदले में क़त्ल कर दिया गया और अगर उसे क़त्ल नहीं किया गया तो वह जब तक जिंदा रहेगा उस के गुनाह नहीं लिखे जायेंगे.”

हज़रत हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं – हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया मेरी उम्मत में सब से अफज़ल शहीद वह शख्श है जो ज़ालिम हाकिम के पास गया, उसे नेकी का हुक्म दिया और बुराई से रोका और उसी वजह से उसे क़त्ल कर दिया गया, ऐसे शहीद का ठिकाना जन्नत में हज़रत हम्ज़ा और जाफर रज़ीअल्लाह अन्हो के दरमियान होगा.

 

अल्लाह ता आला ने हज़रत यूशा बिन नून अलैहिस्सलाम की तरफ वह्यी की कि मै तुम्हारी उम्मत के चालीस हज़ार नेकों और साठ हज़ार बुरों को हालाक करने वाला हूँ.   हज़रत यूशा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ की, नेकों का क्या कुसूर है? अल्लाह ताआला ने फ़रमाया उन्होंने मेरे दुश्मनों को दुश्मन नहीं समझा और यह आपस में मेल मिलाप से रहते रहे.

 

हज़रत अनस रज़ी अल्लाह अन्हो कहते हैं हम ने कहा या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम क्या हमें नेकी का उस वक्त हुक्म करना चाहिए जब हम मुकम्मल तौर पर बुराइयों से किनारा काश हो जाएँ? हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया तुम नेकियों का हुक्म देते रहो अगरचे तुम मुकम्मल तौर पर अमल ना कर सको तुम बुरियों से रोकते रहो अगरचे तुम तमाम व कमाल तौर पर उस से किनाराकश न हो सके हो.”

एक नेक शख्श ने अपने बेटों को नसीहत की कि जब तुम में से कोई नेकियों का हुक्म देना चाहे तो उसे चाहिए की अपने नफ्स को सब्र का आदि बनाये और अल्लाह से सवाब की उम्मीद रखे क्यों की जो शख्श अल्लाह पर एतेमाद करता है वह कभी तकलीफों में मुब्तला नहीं होता.

           

 

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