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Saqi Shayari in Hindi साक़ी हिंदी शायरी
Saqi Shayari in Hindi साक़ी हिंदी शायरी

Saqi Shayari in Hindi

साक़ी हिंदी शायरी

दोस्तों हाज़िर हैं “साक़ी” पर कुछ नशीले शेर जिनमे मयकदे, जाम, मय, मदहोशी और साक़ी के हुस्न की बात है.

बाकि सभी हिंदी शायरी की लिस्ट आप यहाँ देख सकते हैं। Hindi Shayari

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नशा पिला के गिराना तो सब को आता है

मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी ~इक़बाल

***

आज पी लेने दे जी लेने दे मुझ को साक़ी

कल मेरी रात ख़ुदा जाने कहाँ गुज़रेगी

***

दूसरों से बहुत आसान है मिलना साक़ी,

अपनी हस्ती से मुलाक़ात बड़ी मुश्किल है!

***

कहते हुए साक़ी से हया आती है वर्ना,

है यूँ कि मुझे दुर्द-ए-तह-ए-जाम बहुत है।~मिर्ज़ा ग़ालिब

***

ज़हर से धो लिए हैं होंठ अपने

लुत्फ़-ए-साक़ी ने जब कमी की है #फ़ैज़

*** Saqi Shayari in Hindi

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मुझ तक कब उन की बज़्म में आता था दौर-ए-जाम

साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में।~मिर्ज़ा ग़ालिब

***

मै-खाने मे जब हमसे गरिबों को न पुछा,

ये कहते हुए चल दिए साक़ी का भला हो ।

***

चाप सुन कर जो हटा दी थी उठा ला साक़ी,

शैख़ साहब हैं, मैं समझा था मुसलमां है कोई

***

मस्त कर के मुझे औरों को लगा मुंह साक़ी

ये करम होश में रह कर नहीं देखे जाते #अली_अहमद_जलीली

*** Saqi Shayari in Hindi

 

 

मुबारिक हो ज़ईफि को ख़िरद की फ़लसफ़ा दानी

जवानी बे-नयाज़-ए-इबरत-अंजाम है साक़ी ~साहिर_लुधियानवी

***

रूह किस मस्त की प्यासी गयी मयखाने से

मय उड़ी जाती है साक़ी तेरे पैमाने से

***

फिर कभी होश न आये तो कोई बात नहीं,

आज हम जितनी पियें उतनी पिला दे साक़ी

*** Saqi Shayari in Hindi

 

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तशनगी

साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में….

***

मैंने पूछा, ज़हर से भी तेज़ कोई चीज़ है..

साक़ी ने.. ज़िंदगी का प्याला थमा दिया

***

असर न पूछिए साक़ी की मस्त आँखों का

ये देखिए कि कोई होश्यार बाक़ी है

***

साक़ी ये हरीफ़ों को पहचान के देना क्या,

जब बज़्म से हम निकले तब दौर में जाम आया ~नुशूर_वाहिदी

***

लबरेज़ कर पैमाना हमारा भी साक़ी

ग़ज़लगोई भी करेंगे अब तो नशे में हम।

*** Saqi Shayari in Hindi

 

आये कुछ अब्र कुछ शराब आये, उसके बाद आये तो अज़ाब आये,

बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे, दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये।

***

साक़ी सियाह-ख़ाना-ए-हस्ती में देखना

रौशन चराग़ किस ने सर-ए-शाम कर दिया ~AHameed_Adam

***

पीते थे जिसके साथ वो साक़ी बड़ा हसीन था..

आदी बना के ज़ालिम ने मैखाना बदल लिया..

*** Saqi Shayari in Hindi

 

अलग बैठे थे फिर भी आँख साक़ी की पड़ी हम पर,

अगर है तिशनगी कामिल तो पैमाने भी आएंगे।~मजरूह

 

बात साक़ी की न टाली जाएगी

तौबा कर के तोड़ डाली जाएगी ~JaleelManikpuri

*** Saqi Shayari in Hindi

 

ये जाम ये सुबू ये तसव्वुर की चांदनी

साक़ी कहाँ मदाम जरा आँख तो मिला

***

कोई समझाये कि क्या रंग है मैख़ाने का

आँख साक़ी की उठे नाम हो पैमाने का~इकबाल_सूफीपुरी

***

आँखें साक़ी की जब से देखी हैं

हम से दो घूँट पी नहीं जाती – जलील मानिकपुरी

***

मदहोशी में एहसास के ऊँचे ज़ीने से गिर जाने दे

इस वक़्त न मुझको थाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है!!

गो देख चुका हूँ पहले भी नज़्ज़ारा दरिया-नोशी का,

एक और सला-ए-आम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है !!

*** Saqi Shayari in Hindi

 

दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के

तो पछताए बहुत हम तौबा कर के ~Hafeez

***

देखेंगे की आता है कहाँ से ग़म ए दुनिया,

साक़ी तुझे हम सामने बैठा के पिएगें

***

अभी साक़ी का फ़ैज़-ए-आम शायद ना-मुकम्मल है

अभी कुछ इम्तियाज़-ए-बेश-ओ-कम महसूस करता हूँ

*** Saqi Shayari in Hindi

 

जाम भर दे गुनाहगारों के यह भी एक सबाब हे साक़ी,

आज पीने दे पीने दे कल करेंगे हिसाब ऐ साक़ी,

***

तुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है

हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था ~हसीब_सोज़

*** Saqi Shayari in Hindi

 

जो तुझ से कुछ भी न मिलने पे जोश हैं ऐ साक़ी

कुछ ऐसे रिंद भी हैं मय-कदे में आए हुए #असर_सहबाई

साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद

मुझ को तेरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए.

***

तेरे दर पे वो आ ही जाते हैं जिनिको पीने की आस हो साक़ी

आज इतनी पिला दे आँखों से ख़त्म रिंदों की प्यास हो साक़ी

***

साक़ी मेरे ख़ुलूस की शिद्दत को देखना

फिर आ गया हूँ गर्दिश-ए-दौरां को टाल कर

***

ढल गया आफ़ताब ऐ साक़ी ला पिला दे शराब ऐ साक़ी,

या सुराही लगा मेरे मुँह से या उलट दे नक़ाब ऐ साक़ी

*** Saqi Shayari in Hindi

 

ज़िन्दगी इक फरेब ए पैहम है मुस्कुरा कर फरेब खाता जा

रौशनी क़र्ज़ ले के साक़ी से सर्द रातों को जगमगाता जा

***

हाए गर्दिश वो चश्म-ए-साक़ी की,

मैं ये समझा कि जाम चलता है !!

***

तेरे दर्द का नशा मजा जो देने लगा है

लुत्फ़ वो मिलता नहीं साक़ी शराब में ~मासूम

***

उठा सुराही ये शीशा वो जाम ले साक़ी

फिर उसके बाद ख़ुदा का भी नाम ले साक़ी

***

साक़ी सभी को है ग़म-ए-तिश्ना-लबी

मगर मय है उसी की नाम पे जिस के उबल पड़े ~KaifiAzmi

***

गिरनें के बाद भी न छूटा मेरे हाथों से,

थमाया था पैमाना साक़ी नें बड़ी हसरतों से

*** Saqi Shayari in Hindi

 

मेरे पैमाने में कुछ है उसके पैमाने में कुछ

देख साक़ी हो न जाए तेरे मैखाने में कुछ -नवाज़ देवबंदी

*** Saqi Shayari in Hindi

 

अब ना पिलाना साक़ी के दिल भर गया,

लड़खड़ा रहा था मैं,अब फिर संभल गया।

***

मैं, और बज़्म-ए-मै से, योँ तशन:काम आऊँ,

गर मैंने की थी तौबा, साक़ी को क्या हुआ था। #ग़ालिब

 

जहाँवालों के डर से मैं यहाँ छुप छुप के पीता हूँ,

ख़ुदा का खौफ़ कैसा वो तो इसियांपोश* है साक़ी.

***

बजाए मय दिया पानी का इक गिलास मुझे

समझ लिया मेरे साक़ी ने बदहवास मुझे ~सुरूर_जहानाबादी”

***

फ़रेब-ए-साक़ी-ए-महफ़िल न पूछिए ‘मजरूह’

शराब एक है बदले हुए हैं पैमाने

***

मयकदे में क्या तक़ल्लुफ़ मयकशी में क्या हिज़ाब,

बज्म-ए-साक़ी में अदब-आदाब मत देखा करो #फ़राज़

***

हर दफा साक़ी ने संभाला तेरे जानें के बाद

तेरे आंखों सी नशीली बादाख़ानें की फिजा़ लगती है।

*** Saqi Shayari in Hindi

 

ऐसा साक़ी हो तो फिर देखिए रंगे-महफ़िल,

सबको मदहोश करे, होश से जाए ख़ुद भी !! –फ़राज़

***

साक़ी ऐ यार! दिल का मेरे कोई ठिकाना न रहा,

आज़ मेरे हिस्से ही क्यूँ कोई ‘पैमाना’ न रहा।~Waqeef

***

जा कहे कू-ए-यार में कोई मर गया इंतिज़ार में कोई

छोड़ सौ काम आ पहुँच साक़ी जाँ-ब-लब है ख़ुमार में कोई

***

साक़ी दर ए मयख़ाना अभी बंद न करना

शायद मुझे जन्नत की हवा रास न आये

 

*** Saqi Shayari in Hindi

 

अजीब सा अंधेरा है तेरे महफ़िल में ए साक़ी,

किसी ने दिल जलाया तो भी रोशनी नही हुई….

***

साक़ी तेरी नज़र की क्या सियाहकारिया है

मयख़्वार होश में है जाहिद बहक रहे हैं

***

ज़िक्र-ए-साक़ी ही काफ़ी नहीं है ‘फ़ना’,

बे-पिए मैकदे में गुज़ारा नहीं !!

 

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Hinglish

Saqi Shayari in Hinglsih

 

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tere dar pe vo aa hi jaate hain jiniko pine ki aas ho saaqiaaj itani pila de aankhon se khatm rindon ki pyaas ho saaqi***

saaqi mere khuloos ki shiddat ko dekhanaaphir aa gaya hoon gardish-e-dauraan ko taal kar***

dhal gaya aafataab ai saaqi la pila de sharaab ai saaqi,ya suraahi laga mere munh se ya ulat de naqaab ai saaqi***

saqi shayari in hindizindagi ik phareb e paiham hai muskura kar phareb khaata jaaraushani qarz le ke saaqi se sard raaton ko jagamagaata ja**

*hae gardish vo chashm-e-saaqi ki,main ye samajha ki jaam chalata hai !!***

tere dard ka nasha maja jo dene laga hailutf vo milata nahin saaqi sharaab mein ~maasoom***

utha suraahi ye shisha vo jaam le saaqiphir usake baad khuda ka bhi naam le saaqi***

saaqi sabhi ko hai gam-e-tishna-labimagar may hai usi ki naam pe jis ke ubal pade ~kaifiazmi**

*giranen ke baad bhi na chhoota mere haathon se,thamaaya tha paimaana saaqi nen badi hasaraton se***

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saqi shayari in hindiab na pilaana saaqi ke dil bhar gaya,ladakhada raha tha main,ab phir sambhal gaya.***

main, aur bazm-e-mai se, yon tashan:kaam aaoon,gar mainne ki thi tauba, saaqi ko kya hua tha. #gaalibajahaanvaalon ke dar se main yahaan chhup chhup ke pita hoon,khuda ka khauf kaisa vo to isiyaamposh* hai saaqi.***

bajae may diya paani ka ik gilaas mujhesamajh liya mere saaqi ne badahavaas mujhe ~suroor_jahaanaabaadi”***

fareb-e-saaqi-e-mahafil na poochhie majaroohsharaab ek hai badale hue hain paimaane***

mayakade mein kya taqalluf mayakashi mein kya hizaab,bajm-e-saaqi mein adab-aadaab mat dekha karo #faraaz**

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saaqi ai yaar! dil ka mere koi thikaana na raha,aaz mere hisse hi kyoon koi paimaana na raha.~waqaiaif***

ja kahe koo-e-yaar mein koi mar gaya intizaar mein koichhod sau kaam aa pahunch saaqi jaan-ba-lab hai khumaar mein koi***

saaqi dar e mayakhaana abhi band na karanaashaayad mujhe jannat ki hava raas na aaye***

saqi shayari in hindiajib sa andhera hai tere mahafil mein e saaqi,kisi ne dil jalaaya to bhi roshani nahi hui….***

saaqi teri nazar ki kya siyaahakaariya haimayakhvaar hosh mein hai jaahid bahak rahe hain***

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2 thoughts on “Saqi Shayari in Hindi साक़ी हिंदी शायरी

  1. माना शगूफा तुमपर आया बहुत खूब
    शकील हद से ज्यादा हो गई हो
    है नेअमत ये खुदा की
    रखना इसको सम्हाल साकी।।

    आती न बार बार है बस है एक बार आती
    आईने में देख देख कर घायल न होना साकी।।
    शादाबी की इस घडी में तू ज्यादा ही शादा साकी
    लगता है कितनी शौकत मिल गयी है तुझे साकी।
    ये तोहफा भी अज़ीब है कुदरत का दिया हुआ
    सम्हाल पाते बहुत कम हैं लुटा जाते बहुत साकी।
    आशनाई और रुसवाई का मेल होता इसी जगह है
    तशव्वुर के अलावा कुछ भी जवानी में नहीं साकी।।

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