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शैतान की इन्सान से दुश्मनी – Net In Hindi.com

शैतान की इन्सान से दुश्मनी

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अदावते शैतान – शैतान किन किन चालों से इन्सान को बर्बाद करता है

हर मोमिन के लिए ज़रूरी है की वह उलमा व सुलहा से मोहब्बत रखे उन की महफ़िलों में बैठता रहे जो कुछ न जानता हो वह उन से पूछता रहे, उन की नसीहतों से फायदा उठाता रहे, बुरे कामों से दूर रहे और शैतान को अपना दुश्मन समझे जैसा की फरमाने इलाही है

“बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है, उसे दुश्मन ही बनाओ” (यानि अल्लाह की इबादत कर के)

यानी अल्लाह ताआला की इबादत कर के उस से दुश्मनी रखो और अल्लाह ताआला की नाफ़रमानी में उस की पैरवी ना करो और सच्चे दिल से हमेशा अपने अकइद व आमाल का उस से तहफ्फुज़ करो, जब तुम कोई काम करो तो अच्छी तरह समझ लो क्यों की ज़्यादातर आमाल में रिया (दिखावा) दाखिल हो जाता है और बुराइयाँ अच्छी नज़र आती हैं यह सब शैतान की वजह से हौता है लिहाज़ा उस के खिलाफ अल्लाह से मदद तलब करते रहो .

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसउद रज़िअल्लाहो अन्हो कहते हैं, हुज़ूर स.अ.व ने हमारे सामने एक लकीर खिंची और फ़रमाया यह अल्लाह का रास्ता है, फिर आपने उन उस लकीर के दायें बाएं कुछ और लकीरें खिंची और फ़रमाया यह शैतान के रस्ते हैं जिन के लिए वह लोगो को बुलाता रहता है.

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हमारे लिए शैतान के बहुत से रास्तों को बयान फ़रमाया (ताकि हम उस के फ़रेब में ना आयें)

 

शैतान के वस्वसे का अंजाम

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम फरमाते हैं की बनी इसराइल के एक ज़ाहिद को शैतान ने सही रास्ते से हटाने के लिए यह चाल चली की एक लड़की को पेट की बीमारी में मुब्तला कर दिया और उस के घर वालों के दिलों में ख्याल डाल दिया की इस बीमारी का इलाज ज़ाहिद के सिवा कही भी मुमकिन नहीं है. चुनाचे वह लोग ज़ाहिद के पास आये मगर उस ने लड़की को अपने साथ रखने से इंकार कर दिया. लेकिन उन की बार बार की गुज़ारिश पर उस का दिल पसीज गया और उस ने लड़की को इलाज के लिए अपने पास ठहरा लिया, जब भी वह लड़की जाहिद के पास जाती शैतान उसे बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में पेश करता, यहाँ तक की ज़ाहिद के कदम डगमगा गए, और उस ने लड़की से मुबाशरत की जिस से लड़की को हमल रह गया. अब शैतान ने उस के दिल में वस्वासा पैदा किया की यह तो बहुत बुरी बात हुई. मेरे ज़ुहद और तकवा पर हर्फ़ आ गया.

लिहाज़ा इसे क़त्ल करके दफ़न कर देना चाहिए जब उस के घर वाले पूछने आयेंगे तो कह दूंगा वह मर गई. शैतान के बहकावे में आकर ज़ाहिद ने उस लड़की का क़त्ल करके दफ़न कर दिया. इधर लड़की के घर वालों के दिलों में शैतान ने यह ख्याल डाल दिया की उसे ज़ाहिद ने क़त्ल कर के दफ़न कर दिया लिहाज़ा वह ज़ाहिद के पास आये और लड़की के बारे में पूछताछ की, ज़ाहिद ने कहा की वह मर गई है, लेकिन उन लोगों ने अपने वस्वसे के मुताबिक ज़ाहिद पर सख्ती की और उस से इकरार करा लिया की उस ने लड़की को क़त्ल किया है, उन लोगों ने उसे पकड़ लिया और मकतूल के बदले में उसे क़त्ल करने लगे,

तब शैतान ज़ाहिर हुआ और ज़ाहिद से बोला, मैंने उसे पेट की बीमारी में मुब्तला किया था और मैंने ही उस के घर वालों के दिलों में तेरे जुर्म का ख़याल डाला था, अब तु मेरा कहना मान ले, में तुझे बचा लूँगा. ज़ाहिद ने पुछा की क्या करूँ? शैतान बोला मुझे दो सजदे कर ले चुनाचे ज़ाहिद ने जान बचाने के लिए शैतान को सजदा कर लिया, अब शैतान यह कहता हुआ वहां से चल दिया की मै तेरे इस काम से बरी हूँ, जैसा की फरमाने इलाही है “शैतान की तरह जिस ने इन्सान से कहा कुफ्र कर, जब उसने कुफ्र किया तो शैतान ने कहा में तुझ से बरी हूँ”.

शैतान का गुमराह करने वाला सवाल

शैतान ने इमामे शाफई रहमतुल्लाह अलैह से पुछा तेरा उस ज़ात के मुताल्लिक क्या ख्याल है जिस ने मुझे जैसे चाह पैदा किया और जो चाहा मुझ से कराया, उस के बाद वह मुझे चाहे तो जन्नत में भेज दे और चाहे तो जहन्नम में भेज दे, क्या एसा करने वाला आदिल है या ज़ालिम. इमाम शाफई रहमतुल्लाह अलैह ने कुछ ठहर कर जवाब दिया, ए शख्श, अगर उस ने तुझे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक पैदा किया तो फिर तू वाकई मजलूम है और अगर उस ने तुझे अपने कुदरती इरादे के तहत पैदा किया तो फिर उस की मर्ज़ी है जो करे, शैतान शर्म से पानी पानी हो गया और कहने लगा, यही सवाल करके मैंने सत्तर हज़ार आबिदों को ज़लालत और गुमराही के ग़ार में धकेल दिया है.

 

इंसानी कल्ब (मन) एक किला है

इंसानी कल्ब की मिसाल एक किला जैसी है और शैतान एक दुश्मन है जो किले पर हमला करके उस पर कब्ज़ा जमाना चाहता है, किले की हिफाज़त दरवाज़ों को बंद किये बगैर और तमाम रास्तों और सुराखों की निगरानी के बगैर ना मुमकिन है और यह फ़रीज़ा वही सर अंजाम दे सकता है जो उन रास्तों से अच्छी तरह वाकिफ हो. लिहाज़ा दिल को शैतानी वस्वसों के हमले से महफूज़ रखना हर अक्लमंद के लिए ज़रूरी ही नहीं बल्कि एक फ़र्ज़ ए एन है, चूँकि शैतान के हमले का मुकाबला उस वक़्त तक ना मुमकिन है, जब तक उस के तमाम रास्तों की जानकारी ना हो. लिहाज़ा उन रास्तों की जानकरी  सबसे पहली ज़रुरत है.

 

यह रास्ते इन्सान ही के पैदा किये हुए होते हैं. जैसे गुस्सा, शहवत, क्यों की गुस्सा अक्ल को ख़त्म कर देता है लिहाज़ा जब अक्ल कम हो जाती है तो शैतानी लश्कर इन्सान पर ज़बरदस्त हमला कर देता है, जैसे ही इन्सान गज़ब नाक हौता है, शैतान उस से ऐसे खेलता है जैसे बच्चा गेंद से खेलता है.

एक बंदा ए खुदा ने शैतान से पुछा, यह बातला तू इंसान पर कैसे काबू पा लेता है? शैतान ने कहा में उसे गुस्से और उस की शहवत के वक़्त ज़ेर करता हूँ.

शैतान के रास्तों में एक रास्ता हिर्स (लालच) और हसद का भी है क्यों की हिर्स इन्सान को अँधा और बहरा कर देता है. लिहाज़ा शैतान उस फुर्सत को गनीमत समझते हुए तमाम बुराइयों को हिर्स के सामने बेहतरीन अंदाज़ में पेश करता है और वह उसे खूबियाँ समझ कर कबूल करता चला जाता है.

 

नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती में शैतान की सवारी

रिवायत है की जब हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने खुदा के हुक्म से पहले हर जींस का एक एक जोड़ा कश्ती में स्वर  किया और खुद भी सवार हुए तो आपने एक अजनबी बूढ़े को देख कर पुछा, तुम्हे किस ने कश्ती में सवार क्या है? उस ने कहा, में इसलिए आया हूँ की आप के साथियों के दिलों पर कब्ज़ा कर लूँ, उस वक्त उन के दिल मेरे साथ और बदन आप के साथ होंगे.

हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया ऐ अल्लाह के दुश्मन! ए मलऊन निकल जा! इब्लीस बोला, ए नूह पांच चीज़ें एसी हैं जिन से में लोगो को गुमराही में डालता हूँ, तीन तुम्हे बतलाऊंगा और दो नहीं बतलाऊंगा. अल्लाह ताआला ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की तरफ वह्यी की, आप कहें की मुझे तीन से आगाही की ज़रुरत नहीं तू मुझे सिर्फ वही दो बता दे! शैतान बोला, वह दो एसी हैं जो मुझे कभी झूठा नहीं करती और ना ही कभी नाकाम लौटाती हैं और उन्ही से मैं लोगो को तबाही के दहाने पर ला खड़ा करता हूँ. उन में से एक हसद (जलन) है और दूसरी हिर्स (लालच) है. इसी हसद की वजह से तो मै रंदा-ए-दरगाह और मलऊन हुआ हूँ और हिर्स के सबब आदम अलैहिस्सलाम को ममनुआ चीज़ की ख्वाइश पैदा हुई और मेरी आरज़ू पूरी हो गई.

शैतान किन किन चालों से इन्सान को बर्बाद करता है

हसद (जलन) और हिर्स

पेट भरा होना

शैतान का एक रास्ता इन्सान का पेट भरा होना है अगरचे वह हलाल रोज़ी से ही भरा गया यो क्यों की पेट का भर जाना शहवतों-ख्वाइशों को उभारा करता है और शैतान का यही हथियार है.

पेट भर कर खाना भी इन्सान को शैतान के फंदे में फंसाता है.

रिवायत है की हज़रत याह्या अलैहिस्सलाम ने एक बार शैतान को देखा वह बहुत से फंदे उठाये हुए था आप ने पुछा, यह क्या है? शैतान ने जवाब दिया यह वह फंदे हैं जिन से मै इंसान को फंसाता हूँ. आपने पुछा, कभी मुझ पर भी तूने फंदा डाला है? शैतान ने कहा आप जब भी पेट भर कर खा लेते है मैं आप को ज़िक्र व नमाज़ से सुस्त कर देता हूँ. आप ने पुछा और कुछ? कहा बस! तब आपने कसम खाई मै  आइन्दा कभी पेट भर कर नहीं खाऊंगा. शैतान ने भी जवाब में कसम खाई मै भी आइन्दा किसी मुसलमान को नसीहत नहीं करूँगा.

माल व सामान ए दुनिया पर दीवानगी

शैतान का एक रास्ता माल व सामान ए दुनिया पर दीवानगी है, क्यों की शैतान जब इन्सान का दिल इन चीज़ों की तरफ माइल देखता है तो उन्हें और ज्यादा खुबसूरत अंदाज़ में उस के सामने पेश करता है और इन्सान को हमेशा मकानों की तामीर, छत व दरवाज़ा की आराइश व जेबाइश (सजावट) में उलझाये रखता है, और उसे खूबसूरत लिबास, अच्छी अच्छी सवारियों और लम्बी उम्र की झूटी उम्मीदों में मुब्तला कर देता है और जब कोई इन्सान इस मंजिल पर पहुँच जाता है तो फिर उस की राह ए खुदा पर वापसी दुश्वार और मुश्किल हो जाती है, क्यों की वह एक उम्मीद के बाद दूसरी उम्मीद बढाता चला जाता है. यहाँ तक की उस का वक्ते मुक़र्रर आ जाता है और वह इसी शैतानी रास्ते (अल्लाह से गफ़लत) पर चलते हुए और ख्वाइशों को पूरा करते हुआ इस नापायेदार दुनिया से उठ जाता है. 

लोगो से उम्मीदें रखना

शैतान के गलबे का एक रास्ता लोगो से उम्मीदें रखना है. हज़रत सफवान बिन सुलैम फरमाते  है की शैतान जनाब अब्दुल्लाह बिन हंज़ला के सामने आया और कहने लगा, मै तुम को एक बात बताता हूँ, इसे याद रखना. उन्होंने ने कहा मुझे तेरी किसी नसीहत की ज़रुरत नहीं है. शैतान ने कहा तुम सुनो तो सही अगर अच्छी बात हो तो याद रखना वरना छोड़ देना, बात यह है की अल्लाह ताआला के सिवा किसी इन्सान से अपनी आरज़ुओ का सवाल न करना और यह देखना की गुस्से में तुम्हारी क्या हालत होती है क्यों की मै गुस्से की हालत में ही इन्सान पर काबू पता हूँ.

साबित कदमी की इन्सान में कमी और जल्दबाजी

शैतान का एक रास्ता साबित कदमी की इन्सान में कमी और जल्दबाजी की तरफ उस का झुकाव है. फरमाने नबवी सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम है, जल्द बजी शैतानी काम है और सब्र व बुर्दबारी अल्लाह की देन है. जल्दबाजी में इन्सान को शैतान ऐसे तरीके से बुराई पर माइल करता है की इन्सान महसूस ही नहीं करता. रिवायत है की जब हज़रात ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई तो शैतान के तमाम शागिर्द उस के यहाँ जमा हुए और कहने लगे, आज तमाम बुतों ने सर झुका लिए हैं, शैतान ने कहा मालूम हौता है की कोई बड़ा हादसा हो गया है. तुम यहीं ठहरों में मै मालूम करता हूँ, चुनाचे उस ने पूरब और पश्चिम का चक्कर लगाया मगर कुछ भी पता ना चला, यहाँ तक की वह हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की जाए विलादत पर पहुंचा और यह देख कर हैरान रह गया की फ़रिश्ते हजरते ईसा अलैहिस्सलाम को घेरे हुए हैं. वह वापस अपने शागिर्दों के पास पहुंचा और कहने लगा की कल की रात एक नबी की पैदाइश हुई है. मै हर बच्चे की पैदाइश के वक़्त मौजूद होता हूँ मगर मुझे इन की पैदाइश का बिलकुल इल्म नहीं हुआ. लिहाज़ा इस रात के बाद बुतों की इबादत ख़त्म हो जाएगी इसलिए अब इन्सान पर जल्दबाजी और लापरवाही के वक़्त हमला करो.

ज़र व ज़मीन

एक रास्ता ज़र व ज़मीन का है क्यों की जो चीज़ इन्सान की ज़रुरत से ज्यादा हो वह शैतान का ठिकाना बन जाती है. हज़रत साबितुलबनानी रज़िअल्लाहो अन्हो का कौल है की जब अल्लाह ताआला ने नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को मबऊस फ़रमाया तो शैतान ने अपने शागिर्दों से कहा आज कोई बड़ा वक़ेआ रुनुमा है, जाओ देखो तो क्या हाल है? वह सब तलाश में निकले मगर नाकाम लौट कर कहने लगे हमें तो कुछ भी मालूम ना हो सका. शैतान ने कहा तुम ठहरो मै अभी तुम्हे आकर बताता हूँ, शैतान ने वापस आकर बताया की अल्लाह ताआला ने हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को मबऊस फ़रमाया है. चुनाचे शैतान ने अपने तमाम चेलों को सहाबा ए किराम रिज़वानुल्लाहे अलैहिम अज्मेईन के पीछे लगाया की उन लोगों को गुमराह करे. मगर वापस जाकर कहते उस्ताद हम ने आज तक एसी नाकामी का मुहं नहीं देखा, जब यह नमाज़ शुरू करते हैं तो हमारा सब किया धरा खाक में मिल जाता है, तब शैतान ने कहा घबराओ नहीं अभी कुछ और इंतेज़ार करो, जल्द ही उन पर दुनिया अरज़ा (सस्ती) और फ़रावान (ज्यादा) हो जाएगी और उस वक़्त हमें अपनी उम्मीदें पूरी करने का ज्यादा मौका मिल जायेगा.

रिवायत है की हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम एक दिन पत्थर पर टेक लगाये हुए थे शैतान का वहां से गुज़र हुआ उसने कहा ए ईसा! तुमें दुनिया को मरगूब पसंदीदा समझा है? ईसा अलैहिस्सलाम ने उसे पकड़ लिया और उस की गुद्दी में मुक्का मार करके फ़रमाया, यह लेजा, यह तेरे लिए दुनिया है.

(गरीबी) व फाका का डर और बखीली 

एक रास्ता फक्र (गरीबी) व फाका का डर और बखीली है. क्यों की यह चीज़ें इन्सान को अल्लाह के रस्ते में खर्च करने से रोकती हैं और उसे माल व दौलत जमा करने और दर्दनाक अज़ाब की दावत देती है. बुखल का सब से बड़ा नुकसान यह हौता है की बखील माल व दौलत हांसिल करने के लिए बाजारों के चक्कर लगता रहता है जो की शैतान की ठिकाने हैं.

मज़हब से नफरत, ख्वाइशों की पैरवी

एक रास्ता मज़हब से नफरत, ख्वाइशों की पैरवी अपने मुखाल्फीन से बुग्ज़ और हसद और उन्हें हकारत से देखना है और यह चीज़ चाहे आबिद हो या फ़ासिक सब को हलाक कर देती है. हज़रात हसन रज़िअल्लाहो अन्हो का इरशाद है की शैतान ने कहा मैंने उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को गुनाहों की भूल भुलैया में भटकाया मगर उन्होंने इस्तिग्फार से मुझे शिकस्त दे दी, तब मैं उन्हें ऐसे गुनाहों की तरफ ले गया जिन के लिए वह कभी इस्तिग्फार नहीं करते और  वह उन की नाजायज़ ख्वाइशें हैं और शैतान की यह बात हकीकत में बिलकुल सच्चाई है क्यों की आम तौर पर लोग यह नहीं समझ सकते की यह ख्वाइशें ही असल में गुनाहों के तरफ रागिब करती हैं लिहाजा वह अल्लाह से इस्तिग्फार करें.

मुसलमानों के बारे में बदगुमानी

एक रास्ता मुसलमानों के बारे में बदगुमानी का है लिहाज़ा इस से और बदबख्तों की तोहमतों से बचना चाहिए. अगर आप कभी किसी ऐसे इन्सान को देखें जो लोगों के एब ढूंढता है और बद गुमानियाँ फैलाता है तो समझ लिजीये की वह शख्श खुद ही बद बातिन है और यह अम्र उस की बदबातिनी के इज़हार का एक तरीका है लिहाज़ा हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है की वह शैतान के दाखिल होने के इन तमाम रास्तों को बंद कर दे और अल्लाह ताआला की याद से अपने दिल को एक महफूज़ किला बना ले.

दारुननदवा में शैतान का कुरैश को मशवरा

इब्ने इसहाक रहमतुल्लाह अलैह की रिवायत है की जब कुरैश ए मक्का ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के सहाबा ए किराम  रिजवानुल्लाहे अलैहिम अज्मेईन को हिजरत करते और कई कबीलों के लोगों को मुसलमान होते देखा तो उन्हें यह खतरा लाहिक हुआ की कहीं हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम भी हिजरत ना कर जाएँ और वहां एक ज़बरदस्त जमाअत अपनी हिमायत में तैयार कर के हमें शिकस्त न दे दें चुनाचे यह लोग दारुन-नदवा में जमा हुए, दारुन-नदवा कसई बिन किलाब का मकान था यह दारुन नदवा इसलिए कहलाता था की यहाँ कुरैश अपने तमाम अहम् कामो को पूरा करते और मंसूबे तैयार करते थे. इस दारुन नदवा में चालीस साल की उम्र के कुरैशियों के अलावा कोई और शख्श या कम उम्र कुरैशी दाखिल नहीं हो सकता था.

 यह सब लोग अबू जहल के साथ हफ्ता (शनिचर) के दिन जमा हुए इसलिए शनिचर को धोका और फ़रेब का दिन कहा गया है. उन लोगो के साथ इब्लीस भी मशवरों में शरीक होता था. उस मलऊन के शामिल होने का वक़ेआ यूँ है की जब मक्का के कुरैश दारुन नदवा के दरवाज़े पर पहुंचे तो उन्होंने देखा की एक इज्ज़तदार बुढा खुरदुरा सा कम्बल ओढे खड़ा है. एक रिवायत यह है की तल्म्सान की रेशमी चादर ओढे हुए था, उन्होंने पुछा आप कौन है. कहने लगा में शैख़ नज्दी हूँ, तुमने जो इरादा किया है मैंने वह सुन लिया है और में इसलिए आया हूँ की तुम्हारी गुफ्तगू सुनूँ और मशवरे और नसीहते करूँ.

चुनाचे यह सब लोग अन्दर दाखिल हो गए और आपस में मशवरा होने लगा. एक रिवायत है की सौ आदमी थे और दूसरी रिवायत में है की पंद्रह आदमी थे. अबुल बख्तरी ने मशवरा दिया, मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को लोहे के एक किले में बंद कर दो और उस वक़्त का इंतेज़ार करो जब उन का अंजाम भी पहले शायरों जैसा हो जाये. शैख़ नज्दी ने कहा यह बात गलत है, खुदा की कसम अगर गम उन्हें लोहे के दरवाज़ों के पीछे भी बंद कर दो तो वह वहां से निकल कर अपने सहबियों के यहाँ पहुँच जायेंगे.

अबुल अस्वाद रबीआ बिन अमरुल अमीरी ने राय दी की मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को जीला वतन (शहर बदर) कर दो. यह जहाँ भी जाये हमें कोई परवाह नहीं, बस हमारे शहरों में ना रहे. शैख़ नज्दी ने इस राय को रद करते हुए कहा क्या तुम ने मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की अच्छी बातें, उन की शीरीं बयानी और लोगो का उन पर परवानो की तरह निसार होना नहीं देखा? अगर तुम उन को जला वतन कर के मुतमई न हो गए तो यह तुम्हारी सब से बड़ी गलती होगी, वह किसी और कबीले में चले जायेंगे और अपनी जादू बयानी से लोगों को अपना दीवाना बना लेंगे और अपने मानने वालों को एक अज़ीम जमा अत  के साथ तुम पर गलबा हांसिल कर लेंगे, तुम्हारी यह शान शौकत हर्फे गलत की तरह मिट जाएगी और वह तुम्हारे साथ जो चाहेंगे करेंगे कोई और राय दो

अबू जहल ने कहा मेरे ज़हन में एक एसी राय है जो किसी ने भी नहीं दी, वह यह की हर कबीले से के साहबे हसब व नसब बहादुर लिया जाये और यह सब मिलकर एक साथ मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम पर तलवारों से भरपूर हमला करें और उन को क़त्ल कर दें. हमारी भी जान छूट जाएगी और बनू अब्दे मनाफ तमाम कबीलों का मुकाबला करने से तो रहे वह सिर्फ खून बहा (क़त्ल का जुर्माना ) ले लेंगे जिसे तमाम कबा इल मिल कर अदा कर देंगे. शैख़ नज्दी मलऊन इस राय पर फड़क उठा और कहने लगा अब हुई बात.

चुनाचे मुत्ताफेका तौर पर यह राय मान ली गई और सब लोग घरों को चल दिया. इधर हज़रात जिब्रील अलैहिस्सलाम हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ की ए अल्लाह के नबी! आज उस बिस्तर पर आराम ना फरमाए जिस पर आप हमेशा आराम फरमाते हैं. जब रात हुई तो कुरैश के जवान नबी के घर के पास मंडराने लगे उअर उस वक़्त का इंतेज़ार करने लगे की आप बहार आयें और वह एक साथ हमला कर दे. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो को अपने बिस्तर पर उस रात सुलाया और उन पर हरे रंग की एक चादर दाल दी जो बाद में हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो जुमा और इदैन के मौके पर ओढा करते थे.हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो पहले शख्स थे जिन्होंने जान बेच कर हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की हिफाज़त की थी. चुनाचे हज़रत अली करम अल्लाहु वजहहु ने इन अशआर में अपने ख़यालात का इज़हार किया है

मैंने अपनी जान के बदले उस खैरे खल्क सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की हिफाज़त की जो अल्लाह की ज़मीन पर सब से बेहतर हैं और जो हर तवाफ़ करने वाले हजरे अस वद को चूमने वाले से बेहतरीन हैं.

रसुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को मक्का के कुरैश के फ़रेब का अंदेशा हुआ तो उन को रब्बे ज़ुल ज़लाल ने उन के फ़रेब से बचा लिया.

और रसूले खुदा ने ग़ार में निहायत सुकून के साथ अल्लाह की हिफाज़त में रात बसर की .

जब की मै मक्का के कुरैश के सामने सोया हुआ था और इस तरह मै खुद को अपने क़त्ल और कैद होने पर राज़ी किये हुए था.

अल्लाह ताआला ने कुरैश के उन नौजवानों को अँधा कर दिया और नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम कुरैश के जियालों पर मिट्टी डालते हुए और यह आयत तिलावत करते हुए बाहर निकल गए.

इस हाल में एक शख्श वहां आया और उस ने उन लोगो से पुछा यहाँ क्या कर रहे हो? उन्होंने कहा हम मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के मुन्तजिर हैं,उस ने कहा खुदा की क़सम वह तुम्हारे सरों पर मिटटी डालते हुए निकल गए और अल्लाह ताआला ने तुम्हे ज़लील व रुसवा किया है, अब तुम यहाँ खड़े क्या कर रहे हो? अब जो उन्होंने अपने सरों को हाथ लगाया तो सब के सरों में मिट्टी पड़ी हुई थी और वह हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो को हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की चादर ओढे सोते देख कर एक दुसरे से यही कहते रहे की खुदा की क़सम यह मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम सो रहे हैं. यहाँ तक की सुबह हो गई और हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो बिस्तर से उठे, उन को देख कर यह लोग बहुत शर्मिंदा हुए और कहने लगे उस शख्श ने वाकेई सच कहा था, इसी वाकीआ पर यह आयत नाज़िल हुई

“और जब कुफ्फारे मक्का आपके साथ फ़रेब कर रहे थे की वह आप को सख्त ज़ख़्मी या क़त्ल कर दें.”

घबराओ नहीं, हर मुश्किल के बाद आसानी होती है और हर चीज़ एक मुक़र्रर वक्त तक रहती है.

मुकद्दर हम से ज्यादा बा –खबर है और हमारी तदबीरों पर अल्लाह की तदबीर गालीब रहती है.

अल्लाह के नबी करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का हिजरत फरमाना 

हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहो अन्हो ने फरमाने खुदा  (और यूँ अर्ज़ करो की ए मेरे रब मुझे सच्ची तरह दाखिल कर और सच्ची तरह बहार लेजा और मुझे अपनी तरफ से मददगार गलबा दे(बनी इसराइल परा 15). की तफसीर में फ़रमाया है की इस आयत में अल्लाह ताआला ने नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को हिजरत की इज़ाज़त मरहमत फरमाई और हजरते जिब्रील ने आपसे कहा की आप हज़रत अबू बकर रज़िअल्लाहो अन्हो को अपनी हिजरत का साथी मुन्तखब करें.

हाकिम में रिवायत है – हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो कहते हैं की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हज़रत जिब्रील से पुछा मेरे साथ कौन हिजरत करे तो उन्होंने कहा हज़रत अबू बकर सिद्दीक. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो को हिजरत के बारे में बताया और फ़रमाया तुम मेरे बाद यहीं रहना और लोगों की अमानते वापस कर के आना.

 

सिद्दिके अकबर रज़िअल्लाहो अन्हो के घर के हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का खिलाफे मामूल तशरीफ़ लाना

हज़रत आईशा रज़िअल्लाहो अन्हा से मरवी है की हम घर में बैठे हुए थे और दोपहर का वक़्त था और तबरानी ने हज़रत अस्मा की रिवायत नक्ल की है की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मक्का में दो मर्तबा सुबह और शाम हमारे घर तशरीफ़ लाया करते थे, मगर उस दिन जवाल के वक़्त तशरीफ़ लाये, मैने अपने वालिद अबू बकर रज़िअल्लाहो अन्हा से जाकर कहा अब्बा जान नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम आज खिलाफे मामूल चेहरे पर कपडा लपेटे तशरीफ़ लायें हैं. हज़रत अबू बकर रज़िअल्लाहो अन्हो ने कहा, खुदा की कसम हुज़ूर किसी अहम् काम के लिए इस वक्त तशरीफ़ लायें हैं, हज़रत आयशा रज़िअल्लाहो अन्हा कहती हैं की हुज़ूर इज़ाज़त लेकर अन्दर तशरीफ़ लाये. हज़रत अबू बकर रज़िअल्लाहो अन्हो ने आप के लिए चारपाई खाली कर दी. जब हुज़ूर तशरीफ़ फरमा हो गए तो आप ने फ़रमाया इन दोनों को बहार भेज दिया जाये. सिद्दिके अकबर रज़िअल्लाहो अन्हो ने अर्ज़ की हुज़ूर यह आईशा और अस्मा आप ही का घराना है.एक रिवायत है की उन्होंने कहा हुज़ूर मुतमइन रहें ये मेरी बेटियां हैं. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया मुझे रब्बे जुल जलाल ने हिजरत की इज़ाज़त दी है और तुम मेरे साथ रहोगे. आयशा सिद्दीका रज़िअल्लाहो अन्हा कहती हैं, अबू बकर रज़िअल्लाहो अन्हा यह बात सुनकर शिद्दते ज़ज्बात से रो पड़े और अर्ज़ की हुज़ूर, मेरी इन सवारियों में से एक सवारी पसंद फरमा लीजिये. आप ने फ़रमाया मै कीमत दे कर लूँगा.

एक रिवायत में है आप ने फ़रमाया चाहो तो एक मेरे हाथ बेच दो. आप ने कीमत देकर इसलिए सवारी हांसिल की ताकि आप को हिजरत की मुकम्मल फ़ज़ीलत हांसिल हो जाये और जान व माल की कुर्बानी से इस की शुरुआत हो. आयशा सिद्दीका रज़िअल्लाहो अन्हा फरमाती हैं हमने जल्दी जल्दी सफ़र का सामान दुरुस्त किया एक रिवायत है, हम ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम और सिद्दिके अकबर रज़िअल्लाहो अन्हो के लिए बेहतरीन सामने सफ़र बांधा और उसे एक थैले में डाला.

 

सफरे हिजरत में ज़ादेराह (सफ़र खर्च)

वाकिदी से रिवायत है की रास्ते के लिए एक भुनी हुई बकरी थी, हज़रत अस्मा ने अपनी कमर का पटका फाड़ा और उस से थैले का मुह बांध दिया इसीलिए हज़रते अस्मा को को “ज़ातुन्निता कैन” कहते हैं हजरते आयशा रज़िअल्लाहो अन्हा फरमाती हैं हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम और हज़रते अबू बकर सिद्दीक रज़िअल्लाहो अन्हो ने तीन रातें गारे सौर में गुजारी. उस ग़ार चूँकि सौर बिन अब्दे मनात आकर ठहरा था, इसीलिए उसे गारे सौर कहा जाता है.

रिवायत है की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम और सिद्दिके अकबर रज़िअल्लाहो अन्हो रात के वक़्त मकान की पिछली खिड़की से निकल कर ग़ार की तरफ रवाना हुए थे. रस्ते में अबू जहल आ रहा था मगर अल्लाह ने उसे अँधा कर दिया और आप खैरियत से गुज़र गए. अस्मा बीनते अबू बकर सिद्दीक रज़िअल्लाहो अन्हा कहती हैं – हजरते अबू बकर पांच हज़ार दिरहम साथ लेकर गए थे.

सुबह जब कुरैश ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को न पाया तो उन्होंने मक्का के चारों तरफ तलाश किया और हर तरफ खोजी दौड़ाये, जो लोग गारे सौर की तरफ जा रहे थे, उन्होंने आपके निशाने कदम तलाश कर लिए और ग़ार ए सौर की तरफ चल पड़े. मगर जब ग़ार के करीब पहुचे तो निशान ख़त्म हो गए. कुरैश हुज़ूर की हिजरत से बहुत नाराज़ थे और उन्होंने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम को तलाश करने वाले के लिए सौ ऊंट का इन आम मुकर्रर कर दिया था.

 

हज़रत काजी अयाज़ रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है की जबले सबीर ने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से अर्ज़ की आप मेरी पीठ से उतर जाएँ, मुझे डर है की कहीं लोग आपको शहीद ना कर दें और मुझे अज़ाब ना दिया जाये, गारे हिरा ने इल्तेजा की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम मेरे यहाँ तशरीफ़ लाइए.

रिवायत है की जैसे हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़िअल्लाहो अन्हो  के साथ ग़ार ए सौर में दाखिल हुए, अल्लाह ताआला ने ग़ार के दरवाज़े पर एक झाडी पैदा कर दी जिसने इन हज़रात को काफिरों की नज़रों से ओझल कर दिया.  खुदा के हुक्म से मकड़े ने ग़ार के दहाने पर जाला बना दिया और जंगली कबूतरों ने अपना घोंसला बना दिया. यह सब कुछ मक्का के काफिरों को ग़ार की तलाशी से बाज़ रखने के लिए किया गया . उन दो जंगली कबूतरों को अल्लाह ताआला ने एसी बे मिसाल जज़ा दी की आज तक हरम शरीफ में जितने कबूतर हैं वह उन्ही दो की औलाद हैं जैसे उन्होंने अल्लाह के नबी की हिफाज़त की थी वैसे ही अल्लाह ताआला ने भी हरम शरीफ में उन के शिकार पर पाबन्दी लगा दी है.

कुरैश के नौजवान डंडे, लाठियां और तलवारे संभाले चारो तरफ फ़ैल गए जिन में से कुछ ग़ार की तरफ जा निकले उन्होंने वहां कबूतरों का घोंसला और उस में अंडे देखे तो वापस लौट गए और कहने लगे हम ने ग़ार के दहाने पर कबूतरों का घोंसला और उस में अंडे रखे देखें हैं, अगर वहां कोई दाखिल होता तो ला मुहाला कबूतर उड़ जाते. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने उन की यह बातें सुनी और समझ गए की अल्लाह ताआला ने मुशरिकों को नाकाम लौटाया है. किसी ने कहा ग़ार में जाकर देखो तो सही, जवाब में उमैया बिन खलफ ने कहा ग़ार में घुसने की कोई ज़रुरत नहीं है, तुम्हे ग़ार के मुह पर मकड़ी का जो जला नज़र आता है वह तो मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की पैदाइश से भी पहले का है. अगर वह इस में दाखिल होते तो यह जाला और अंडे टूट जाते.

यह हकीकत में कौमे कुरैश को मुकाबले में शिकस्त देने से भी बड़ा मोअज़ेज़ा था. गौर कीजिये मतलूब कैसे कामयाब और तलाश करने वाले कैसे गुमराह हुए. मकड़ी ने जुस्तजू का दरवाज़ा बंद कर दिया और ग़ार का मुंह ऐसे बन गया की पता लगाने वालों के कदम लड़खड़ा गए और नाकाम वापस लौटे और मकड़ी को लाजवाब सआदत मयस्सर आई. इब्ने नकीब ने खूब कहा है

अशआर का मह्फूम

रेशम के कीड़े ने एसा रेशम बुना जो हुस्न में यकता है

मगर मकड़ी उन से लाखों दर्जा बेहतर है इसलिय की उस ने ग़ार ए सौर में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के ऊपर ग़ार के दहाने पर जाला बुना था.

 

बुखारी व मुस्लिम में हज़रत अनस रज़िअल्लाहो अन्हो से मरवी है, हज़रत अबू बकर राजी अल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया जब हम ग़ार में थे मैंने रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से अर्ज़ की हुज़ूर ! अगर यह अपने क़दमों की तरफ देखें तो यकीनन हमें देख लेंगे. आप ने फ़रमाया अबू बकर तुम्हारा उन दो के बारे में क्या ख़याल है जिन के साथ तीसरा खुदा है.

बाज़ सीरत निगारों ने लिखा है की जब अबू बकर सिद्दीक रज़िअल्लाहो अन्हो ने अंदेशा जाहिर किया तो आप ने फ़रमाया, अगर यह लोग इधर से दाखिल होंगे तो हम उधर से निकल जायेंगे. सिद्दिके अकबर ने ग़ार में निगाह की तो देखा दूसरी तरफ एक दरवाज़ा नज़र आया जिस के साथ एक समुन्दर, जिसके किनारे का पता ना था, बह रहा था और उस ग़ार के दरवाज़े पर एक नाव बंधी थी.

 

हुज़ूर पर कुर्बान होना सिद्दिके अकबर की दिली आरजू थी

हज़रत हसन बसरी रज़िअल्लाहो अन्हो फरमाते हैं, मुझे यह खबर पहुंची है की जब अबू बकर सिद्दीक रज़िअल्लाहो अन्हो हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के साथ ग़ार की तरफ जा रहे थे तो हज़रत अबू बकर कभी हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के आगे चलते और कभी पीछे चलते. हुज़ूर ने पुछा एसा क्यों करते हो? उन्होंने जवाब दिया, जब मुझे तलाश करने वालों का ख्याल आता है तो मै आप के पीछे हो जाता हूँ और जब घात में बैठे हुए दुश्मनों का खयाला आता है तो आगे आगे चलने लगता हूँ, खुदा ना करे आप को कोई तकलीफ पहुंचे. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया क्या तुम खतरे की सूरत में मेरे आगे मरना पसंद करते हो ? अर्ज़ की अल्लाह की कसम मेरी यही आरज़ू है.

जब ग़ार के करीब पहुंचे तो हजरते अबू बकर रज़िअल्लाहो अन्हो ने कहा, हुज़ूर ठहरिये मै ग़ार को साफ करता हूँ और अन्दर पहुच कर हाथों से टटोल टटोल कर ग़ार को साफ करना शुरू किया. जहाँ कहीं कोई सुराख़ नज़र आता वहां कपडा फाड़ कर उस को बंद कर देते यहाँ तक की सारा कपडा ख़त्म हो गया और एक सुराख़ बाकी रह गया, वहां आप ने पांव का अंगूठा रख दिया ताकि कोई चीज़ हुज़ूर स.व.व. को तकलीफ ना दे. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ग़ार में दाखिल हुए और अबू बकर रज़िअल्लाहो अन्हो की गोद में सर रख कर सो गए. हज़रत अबू बकर को उस सुराख़ से सांप ने डस लिया मगर आपने पैर को हिलाया नहीं की कहीं एसा नो हो की हुज़ूर की आँख खुल जाये और आप की नींद में खलल पड़े. ज्यादा तकलीफ की वजह से आप के आंसू हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के चेहरे पर पड़े तो हुज़ूर की आँख खुल गई. पुछा अबू बकर क्या बात है? अर्ज़ की हुज़ूर सांप ने डस लिया है. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने लुआबे दहन लगाया तो ज़हर का असर जाता रहा.

हज़रत हस्सान बिन साबित रज़िअल्लाहो अन्हो ने क्या खूब कहा है

उस बा मुकद्दर ग़ार में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के साथ सिर्फ सिद्दिके अकबर थे जब दुश्मन पहाड़ पढ़ चढ़ रहे थे

और सहाबा ए किराम यह जानते थे की हज़रत सैय्यदना अबू बकर सिद्दीक रासुल्लाह के महबूब हैं और आप की बारगाह में किसी का रुतबा इन के बराबर नहीं.

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने जुमेरात के दिन मक्का से हिजरत की, तीन रातें ग़ार ए सौर में गुज़ार कर पहली रबी उल अव्वल, सोमवार की रात को वहां से रवाना हुए और 12 रबीउल अव्वल को मदीना तय्येबा पहुचे.

ज़करिया नाम का एक मशहूर ज़ाहिद गुज़रा है, सख्त बीमारी के बाद जब उस की रूह कब्ज होने का वक़्त आया तो उस के दोस्त ने उसे कालिमा की तलकीन की, मगर उनसे दूसरी तरफ मुंह फेर लिया. दोस्त ने दूसरी मर्तबा तलकीन की लेकिन उस ने इधर से उधर मुंह फेर लिया. जब उसने तीसरी बार तलकीन की तो उस ज़ाहिद ने कहा, मैं नहीं कहता, दोस्त यह सुनते ही बेहोंश हो गया. कुछ देर बाद जब ज़ाहिद को कुछ इफाका हुआ, उस ने आँखे खोली और पुछा तुम ने मुझ से कुछ कहा था? उन्होंने कहाँ हाँ,  मैंने तुम्हे कलमे की तलकीन की थी मगर तुमने दो मर्तबा मुंह फेर लिया और तीसरी बार कहा “मै नहीं कहता” ज़ाहिद ने कहा बात यह है की मेरे पास शैतान पानी का प्याला लेकर आया और दायें तरफ खड़ा होकर मुझे वह पानी दिखाते हुए कहने लगा तुम्हे पानी की ज़रुरत है? मैंने कहा हैं कहने लगा कहो ईसा अल्लाह के बेटे हैं? मैंने मुंह फेर लिया तो दूसरी तरफ से आकर कहने लगा, मैंने फिर मुह फेर लिया. जब उस ने तीसरी मर्तबा “ईसा अल्लाह के बेटे हैं” कहने को कहा तो मैंने कहा, मै नहीं कहता, इस पर वह पानी का प्याला ज़मीन पर पटक कर भाग गया. मैंने तो यह लफ्ज़ शैतान से कहे थे, तुम से तो नहीं कहे थे और फिर कलमा ए शहादत का ज़िक्र करने लगा.

इन्सान के जिस्म में शैतान कहाँ रहता है.

हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ से मरवी है की किसी ने अल्लाह ताआला से सवाल किया मुझे इंसानी दिल में शैतान की जगह दिखा दे, ख्वाब में उस ने शीशे की तरह साफ सुथरा एक इंसानी जिस्म देखा जो अन्दर बहार से एक जैसा नज़र आ रहा था. शैतान को देखा वह उस इन्सान के बाये कंधे और कान के दरमियाँ बैठा हुआ था और अपनी लम्बी नाक से उस के दिल में वस्वसे डाल रहा था. जब वह इन्सान अल्लाह का ज़िक्र करता तो वह फ़ौरन ही पीछे हट जाता ए रब्बे ज़ुल ज़लाल ! ख्त्मुल मुरसलीन सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के तुफैल हमें शैताने मरदूद के तसल्लुत से बचा, हमें हासिद ज़बान से निजात बख्श और अपने ज़िक्र व शुक्र की तौफिक इनायत फरमा.

  

  

   

 

 

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