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Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी
Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

Sharab Shayari in Hindi

शराब और मय पर शायरी

दोस्तों “मय” और “शराब” पर शेर ओ शायरी का एक मज़ेदार संकलन हम इस पेज पर प्रकाशित कर रहे है, उम्मीद है यह आपको पसंद आएगा और आप विभिन्न शायरों के “मय” और “शराब” के बारे में ज़ज्बात जान सकेंगे. अगर आपके पास भी “मय” और “शराब” शायरी का कोई अच्छा शेर है तो उसे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर लिखें.

सभी विषयों पर हिंदी शायरी की लिस्ट यहाँ है.

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राज़-ए-तख़लीक-ए-ग़ज़ल हम को है मालूम ‘नसीम’

जाम हो मय हो सनम हो तो ग़ज़ल होती है

~नसीम शाहजहाँपुरी

 

ग़म-ए-इश्क़ में मज़ा था जो उसे समझ के खाते,

ये वो ज़हर है कि आख़िर मय-ए-ख़ुश-गवार होता !! – दाग़ देहलवी

 

मीर इन नीम बाज आखों में

सारी मस्ती शराब की सी है।

 

तुम्हारी नीम निगाही में न जाने क्या था

शराब सामने आयी तो फैंक दी मैंने

 

तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर

चदं बच्चे शराब खाने में।

 

वो सहन-ए-बाग़ में आए हैं मय-कशी के लिए

खुदा करे के हर इक फूल जाम हो जाए

~नरेश कुमार ‘शाद’

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

पड़ा है अक्स जो रूख़्सार-ए-शोला-ए-मय का

तो आईने तेरी यादों के जगमगाए हैं

~ख़ुर्शीद अहमद ज़ामी

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मेरे इत्तक़ा का बाइस, तु है मेरी नातवानी

जो में तौबा तोड़ सकता, तो शराब ख़ार होता

~अमीर मीनाई

 

तेरी निगाह थी साक़ी कि मैकदा था कोई

मैं किस फ़िराक में शर्मिंदा-ए-शराब हुआ!!

 

ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना,

ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!

 

एसी शराब पी है कि इक दिन मेरा निशां

मस्जिद में खानकाह में ढूँढा करेंगे लोग।

 

ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी कभी

पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में

~ग़ालिब

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

अगले वक्तों हैं ये लोग इन्हें कुछ न कहो

जो मय वो नगमें को अनदोहे रूबा कहते हैं।~Ghalib

 

देना वो उसका सागर व मय याद है निजाम

मुह फेर कर उधर को इधर को बढा के हाथ।

 

पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार

ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है~ग़ालिब

 

होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये

लेकिन ग़म-ए-हयात का दरमाँ न कर सके~साहिर

 

रूह किस मस्त की प्यासी गयी मयखाने से

मय उड़ी जाती है साक़ी तेरे पैमाने से

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए

तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की

 

नशा-ए-मय से कभी प्यास बुझी है दिल की,

तश्नगी और बढ़ा लाए खराबात से हम !!

 

बस एक इतनी वजह है मेरे न पीने की

शराब है वही साक़ी मगर गिलास नहीं

 

आये कुछ अब्र कुछ शराब आये,

उसके बाद आये तो अज़ाब आये,

बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे,

दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये।

 

शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूं,

क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया !!

 

ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना,

ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!

 

मय-ख़ाना-ए-हस्ती में मय-कश वही मय-कश है,

सँभले तो बहक जाए बहके तो सँभल जाए !!

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

अब तो ज़ाहिद भी ये कहता है बड़ी चूक हुई,

जाम में थी मय-ए-कौसर मुझे मालूम न था !!

 

पहले सागर से तो छलके मय-ए-गुलफाम का रंग,

सुबह के रंग में ढल जाएगा खुद शाम का रंग !!

 

टूटे हुए पैमाने बेकार सही लेकिन,

मय-ख़ाने से ऐ साक़ी बाहर तो न फेंका कर !!

 

मय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-मय से,

तज़ईन-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगे !!

 

तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़ सा तारी

तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है

 

नशा-ए-मय से कभी प्यास बुझी है दिल की,

तश्नगी और बढ़ा लाए खराबात से हम !!

 

उन्हीं के हिस्से में आती है ये प्यास अक्सर,

जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं !!

 

सागरे-चश्म से हम बादापरस्त

मय-ए-दीदार पिया करते हैं!!

 

मिले तो बिछड़े हुए मय-कदे के दर पे मिले,

न आज चाँद ही डूबे न आज रात ढले !!

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

तेरी क़िस्मत ही में ज़ाहिद मय नहीं

शुक्र तो मजबूरियों का नाम है !!

 

साबित हुआ है गर्दन-ए-मीना पे ख़ून-ए-ख़ल्क़,

लरज़े है मौज-ए-मय तेरी रफ़्तार देख कर !!

 

निगाह-ए-साक़ी से पैहम छलक रही है शराब,

पिओ की पीने-पिलाने की रात आई है !!

 

टूटे तेरी निगाह से अगर दिल हबाब का

पानी भी फिर पिएं तो मज़ा दे शराब का

 

वा हो रही है मय-कदा-ए-नीम-शब की आँख

अंगड़ाई ले रहा है जहाँ देखते चलें !! -मख़दूम मुहिउद्दीन

 

कौन है जिसने मय नही चक्खी

कौन झूठी क़सम उठाता है,

मयकदे से जो बच निकलता है

तेरी आँखों में डूब जाता है !!

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं

कहने को तो दुनिया में मयख़ाने हज़ारों हैं!!-शहरयार

 

ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना,

ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!

 

रह गई जाम में अंगड़ायाँ लेके शराब,

हम से माँगी न गई उन से पिलाई न गई !!

 

इक धड़कता हुआ दिल, एक छलकता हुआ जाम,

यही ले आते हैं मयनोश को मयख़ाने में…

 

ना गुल खिले हैं, ना उन से मिले, ना मय पी है,

अजीब रंग में अबके बहार गुज़री है।

~faiz

 

खुद ही सरशार-ए-मय-ए-उल्फत नहीं होना ‘असर’,

इससे भर-भर कर दिलों के जाम छलकाना भी है !!-असर लखनवी

 

क्यों मय-कदय में बैठ कर बनते हो पारसा,

नज़रें बता रहीं हें के नीयत ख़राब है !! -अमीर मिनाई

 

मय-ख़ाना-ए-हस्ती में मय-कश वही मय-कश है,

सँभले तो बहक जाए, बहके तो सँभल जाए !!

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

हमने होश संभाला तो संभाला तुमको

तुमने होश संभाला तो संभलने न दिया

 

तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़-सा तारी,

तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है.!!

 

‘हाली’ नशात-ए-नग़मा-ओ-मय ढूंढते हो अब

आये हो वक़्त-ए-सुबह..रहे रात भर कहाँ

 

किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,

जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है !!

 

मय बरसती है फ़ज़ाओं पे नशा तारी है,

मेरे साक़ी ने कहीं जाम उछाले होंगे !!

 

मय में वह बात कहां जो तेरे दीदार में है,

जो गिरा फिर न उसे कभी संभलते देखा ।

~मीर_तकी_मीर

 

उनकी आंखें यह कहती रहती हैं

लोग नाहक शराब पीते हैं!

 

इक नौ-बहार-ए-नाज़ को ताके है फिर निगाह,

चेहरा फुरोग-ए-मय से गुलिस्तां किये हुए !!

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़ सा तारी,

तुम्हारा ज़िक्र भी जाम-ए-शराब जैसा है !!

 

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब

आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया !!

 

तुम्हारी आँख की तौहीन है जरा सोचो

तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है!

 

मय बरसती है फिजा़अों पे नशा तारी है

मेरे साकी ने कहीं जाम उछाले होंगे!

 

मय भी है मीना भी है सागर भी है साकी नही

जी मे आता है लगा दें आग मयखाने को ह

 

तसव्वुर अर्श पर है और सर है पा-ए-साक़ी पर,

गर्ज़ कुछ और धुन में इस घड़ी मय-ख़्वार बैठे हैं

दारु चढ के उतर जाती है

पैसा चढ जाये तो उतरता नही

आप अपने नशे में जीते है

हम जरा सी शराब पीते है..

-गुलज़ार

 

शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब

उस में फिर मिलाई जाये थोड़ीसी शराब

होगा यूँ नशा जो तैय्यार वो प्यार हैं

-नीरज

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम

साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में.!!

 

मय में वह बात कहां जो तेरे दीदार में है,

जो गिरा फिर न उसे कभी संभलते देखा ।

-मीर तकी मीर

 

तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’

तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!

-मिर्ज़ा ग़ालिब

 

कयामतके आने में रिंदो को शक था

जो देखा तो वाइज चले आ रहे है

बहारों में भी मय से परहेज है तौबा

‘ख़ुमार’आप काफ़िर हुए जा रहे है..

ख़ुमार बंकवी

 

बे पिए ही शराब से नफ़रत

ये जहालत नही तो और क्या है..?

-साहिर लुधियानवी

 

अच्छों को बुरा साबित करना

दुनिया की पुरानी आदत है

इस मय को मुबारक चीज़ समझ

माना की बहुत बदनाम है ये

-साहीर लुधीयानवी

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

इक सिर्फ हम ही मय कों आँखों से पिलाते है,

कहने को तो दुनिया में मयखाने हजारे है..!(उमराव-ओ-जान)

-शहरयार

 

मिले ग़म से अपने फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना

कि टपक पड़े नज़र से मय-ए-इश्रत-ए-शबाना

~मुइन अहसन

 

आमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए

जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया.!!

 

ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी-कभी

पीता हूँ रोज़ अब्र शबे-महताब में..!!

 

कभी मौक़ा लगे, कड़वे दो घूँट चख लेना

ज़रा तेरे लिये शराब छोड़ आए हैं.!!

 

गज़लें अब तक शराब पीती थीं।।

नीम का रस पिला रहे हैं हम….?

 

उस शख्स पर शराब का पीना हराम है।।

जो रहके मैक़दे में भी इन्सां न हो सका..!!

 

ज़ाहिद शराब पीने से , क़ाफ़िर हुआ मैं क्यों।।

क्या डेढ़ चुल्लू पानी में , ईमान बह गया….!!

 

Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

तुम्हारी आँखों की तौहीन है, ज़रा सोचो

तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है

 

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Sharab shayari in hinglish font

raz-e-takhalek-e-gazal ham ko hai maloom ‘nasem’

jam ho may ho sanam ho to gazal hote hai

~nasem shahajahanpure

 

gam-e-ishq mein maza tha jo use samajh ke khate,

ye vo zahar hai ki akhir may-e-khush-gavar hota !! – dag dehalave

 

mer in nem baj akhon mein

sare maste sharab ke se hai.

 

tumhare nem nigahe mein na jane kya tha

sharab samane aye to faink de mainne

 

tabasara kar rahe hain duniya par

chadan bachche sharab khane mein.

 

vo sahan-e-bag mein ae hain may-kashe ke lie

khuda kare ke har ik fool jam ho jae

~naresh kumar ‘shad’

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

pada hai aks jo rookhsar-e-shola-e-may ka

to aene tere yadon ke jagamagae hain

~khurshed ahamad zame

 

mere ittaqa ka bais, tu hai mere natavane

jo mein tauba tod sakata, to sharab khar hota

~amer menae

 

tere nigah the saqe ki maikada tha koe

main kis firak mein sharminda-e-sharab hua!!

 

zaban kahane se ruk jae vahe dil ka hai afasana,

na poochho may-kashon se kyon chhalak jata hai paimana !!

 

ese sharab pe hai ki ik din mera nishan

masjid mein khanakah mein dhoondha karenge log.

 

galib chhute sharab par ab bhe kabhe kabhe

peta hoon roz-e-abr-o-shab-e-mahatab mein

~galib

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

agale vakton hain ye log inhen kuchh na kaho

jo may vo nagamen ko anadohe rooba kahate hain.~ghalib

 

dena vo usaka sagar va may yad hai nijam

muh fer kar udhar ko idhar ko badha ke hath.

 

piyoon sharab agar khum bhe dekh loon do char

ye shesha-o-qadah-o-kooza-o-suboo kya hai~galib

 

hokar kharab-e-may tere gam to bhula diye

lekin gam-e-hayat ka daraman na kar sake~sahir

 

rooh kis mast ke pyase gaye mayakhane se

may ude jate hai saqe tere paimane se

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

aj itane pila sake ke maikada dub jae

tairate fire sharab mein kashte faker ke

 

nasha-e-may se kabhe pyas bujhe hai dil ke,

tashnage aur badha lae kharabat se ham !!

 

bas ek itane vajah hai mere na pene ke

sharab hai vahe saqe magar gilas nahin

 

aye kuchh abr kuchh sharab aye,

usake bad aye to azab aye,

bam-i-minha se mahatab utare,

dast-e-saqe mein afatab aye.

 

sharab pene se kafir hua main kyoon,

kya dedh chulloo pane mein eman bah gaya !!

 

zaban kahane se ruk jae vahe dil ka hai afasana,

na poochho may-kashon se kyon chhalak jata hai paimana !!

 

may-khana-e-haste mein may-kash vahe may-kash hai,

sanbhale to bahak jae bahake to sanbhal jae !!

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

ab to zahid bhe ye kahata hai bade chook hue,

jam mein the may-e-kausar mujhe maloom na tha !!

 

pahale sagar se to chhalake may-e-gulafam ka rang,

subah ke rang mein dhal jaega khud sham ka rang !!

 

toote hue paimane bekar sahe lekin,

may-khane se ai saqe bahar to na fenka kar !!

 

may-khana salamat hai to ham surkhe-may se,

tazen-e-dar-o-bam-e-haram karate rahenge !!

 

tumhen jo sochen to hota hai kaif sa tare

tumhara zikr bhe jame-sharab jaisa hai

 

nasha-e-may se kabhe pyas bujhe hai dil ke,

tashnage aur badha lae kharabat se ham !!

 

unhen ke hisse mein ate hai ye pyas aksar,

jo doosaron ko pilakar sharab pete hain !!

 

sagare-chashm se ham badaparast

may-e-dedar piya karate hain!!

 

mile to bichhade hue may-kade ke dar pe mile,

na aj chand he doobe na aj rat dhale !!

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

tere qismat he mein zahid may nahin

shukr to majabooriyon ka nam hai !!

 

sabit hua hai gardan-e-mena pe khoon-e-khalq,

laraze hai mauj-e-may tere raftar dekh kar !!

 

nigah-e-saqe se paiham chhalak rahe hai sharab,

pio ke pene-pilane ke rat ae hai !!

 

toote tere nigah se agar dil habab ka

pane bhe fir pien to maza de sharab ka

 

va ho rahe hai may-kada-e-nem-shab ke ankh

angadae le raha hai jahan dekhate chalen !! -makhadoom muhiudden

 

kaun hai jisane may nahe chakkhe

kaun jhoothe qasam uthata hai,

mayakade se jo bach nikalata hai

tere ankhon mein doob jata hai !!

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

ik sirf hamen may ko ankhon se pilate hain

kahane ko to duniya mein mayakhane hazaron hain!!-shaharayar

 

zaban kahane se ruk jae vahe dil ka hai afasana,

na poochho may-kashon se kyon chhalak jata hai paimana !!

 

rah gae jam mein angadayan leke sharab,

ham se mange na gae un se pilae na gae !!

 

ik dhadakata hua dil, ek chhalakata hua jam,

yahe le ate hain mayanosh ko mayakhane mein…

 

na gul khile hain, na un se mile, na may pe hai,

ajeb rang mein abake bahar guzare hai.

~faiz

 

khud he sarashar-e-may-e-ulfat nahin hona asar,

isase bhar-bhar kar dilon ke jam chhalakana bhe hai !!-asar lakhanave

 

kyon may-kaday mein baith kar banate ho parasa,

nazaren bata rahen hen ke neyat kharab hai !! -amer minae

 

may-khana-e-haste mein may-kash vahe may-kash hai,

sanbhale to bahak jae, bahake to sanbhal jae !!

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

hamane hosh sambhala to sambhala tumako

tumane hosh sambhala to sambhalane na diya

 

tumhen jo sochen to hota hai kaif-sa tare,

tumhara zikr bhe jame-sharab jaisa hai.!!

 

hale nashat-e-nagama-o-may dhoondhate ho ab

aye ho vaqt-e-subah..rahe rat bhar kahan

 

kise pyale se poochha hai surahe ne sabab may ka,

jo khud behosh ho vo kya bataye hosh kitana hai !!

 

may barasate hai fazaon pe nasha tare hai,

mere saqe ne kahen jam uchhale honge !!

 

may mein vah bat kahan jo tere dedar mein hai,

jo gira fir na use kabhe sambhalate dekha .

~mer_take_mer

 

unake ankhen yah kahate rahate hain

log nahak sharab pete hain!

 

ik nau-bahar-e-naz ko take hai fir nigah,

chehara furog-e-may se gulistan kiye hue !!

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

tumhen jo sochen to hota hai kaif sa tare,

tumhara zikr bhe jam-e-sharab jaisa hai !!

 

ham to samajhe the ke barasat mein barasege sharab

ae barasat to barasat ne

 

ham to samajhe the ke barasat mein barasege sharab

 

ae barasat to barasat ne dil tod diya !!

tumhare ankh ke tauhen hai jara socho

tumhara chahane vala sharab peta hai!

 

 

may barasate hai fijaaon pe nasha tare hai

mere sake ne kahen jam uchhale honge!

 

may bhe hai mena bhe hai sagar bhe hai sake nahe

je me ata hai laga den ag mayakhane ko ha

 

 

tasavvur arsh par hai aur sar hai pa-e-saqe par,

garz kuchh aur dhun mein is ghade may-khvar baithe hain

daru chadh ke utar jate hai

paisa chadh jaye to utarata nahe

ap apne nashe mein jete hai

ham jara se sharab pete hai..

 

-gulazar

 

shokhiyon mein ghola jaye foolon ka shabab

us mein fir milae jaye thodese sharab

hoga yoon nasha jo taiyyar vo pyar hain

-neraj

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

mujh tak kab unake bazm mein ata tha daur-e-jam

saqe ne kuchh mila na diya ho sharab mein.!!

may mein vah bat kahan jo tere dedar mein hai,

jo gira fir na use kabhe sambhalate dekha .

 

-mer take mer

 

too ne kasam may-kashe ke khae hai galib

tere kasam ka kuchh etibar nahe hai..!

 

-mirza galib

 

 

kayamatake ane mein rindo ko shak tha

jo dekha to vaij chale a rahe hai

baharon mein bhe may se parahej hai tauba

khumarap kafir hue ja rahe hai..

khumar bankave

 

 

be pie he sharab se nafarat

ye jahalat nahe to aur kya hai..?

-sahir ludhiyanave

 

achchhon ko bura sabit karana

duniya ke purane adat hai

is may ko mubarak chez samajh

mana ke bahut badanam hai ye

-saher ludheyanave

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

ik sirf ham he may kon ankhon se pilate hai,

kahane ko to duniya mein mayakhane hajare hai..!(umarav-o-jan)

-shaharayar

 

mile gam se apane fursat to sunaoon vo fasana

ki tapak pade nazar se may-e-ishrat-e-shabana

~muin ahasan

 

 

amal mujhe apane us vaqt nazar ae

jis vaqt mera beta ghar pe ke sharab aya.!!

 

 

galib chhute sharab par ab bhe kabhe-kabhe

peta hoon roz abr shabe-mahatab mein..!!

 

kabhe mauqa lage, kadave do ghoont chakh lena

zara tere liye sharab chhod ae hain.!!

 

gazalen ab tak sharab pete then..

nem ka ras pila rahe hain ham….?

 

us shakhs par sharab ka pena haram hai..

jo rahake maiqade mein bhe insan na ho saka..!!

 

zahid sharab pene se , qafir hua main kyon..

kya dedh chulloo pane mein , eman bah gaya….!!

 

sharab shayari in hindi sharab aur may par shayari

tumhare ankhon ke tauhen hai, zara socho

tumhara chahane vala sharab peta hai

 

 

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3 thoughts on “Sharab Shayari in Hindi शराब और मय पर शायरी

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