Sheikh Saadi quotes in Hindi शैख सादी के अनमोल विचार

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Sheikh Saadi R.A. quotes in Hindi

A collection of Famous Quotes of Sheikh Saadi in Hindi

Sheikh Saadi quotes in Hindi
Sheikh Saadi quotes in Hindi

 
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शैख सादी रहमतुल्लाह अलैह के अनमोल विचार

 

इंसान मुस्तक़बिल को सोच के अपना हाल ज़ाया करता है, फिर मुस्तक़बिल मैं अपना माज़ी याद कर के रोता है।
मुस्तकबिल = भविष्य, माज़ी = भूतकाल, हाल = वर्तमान

******* Sheikh Saadi R.A. in Hindi

इंसान दौलत कमाने के लिए अपनी सेहत खो देता है और फिर सेहत को वापिस पाने के लिए अपनी दौलत खो देता है।
जीता ऐसे है जैसे कभी मरना ही नहीं है, और मर जाता ऐसे है जैसे कभी जिया ही नहीं।

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ताज्जुब की बात है अल्लाह अपनी इतनी सारी मख्लूक़ में से मुझे नहीं भूलता
और मेरा तो एक ही अल्लाह है में उसे भूल जाता हूँ।

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आसमान पर निगाह ज़रूर रखो मगर ये मत भूलो के पैर ज़मीन पर ही रखें जातें हैं।

******* Sheikh Saadi in Hindi

अगर तुम अल्लाह की इबादत नहीं कर सकते तो गुनाह करना भी छोड़ दो। —शेख सादी रहमतुल्लाह अलैह

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शैख़ सादी images  

दिन की रौशनी में रिज़्क़ तलाश करो, रात को उसे तलाश करो जो तुम्हें रिज़्क़ देता है।

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अपने अखलाक को फूल जैसा बना लो कुछ नहीं तो पास बैठने वाला खुशबू तो हांसिल करे.

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अगर चिड़ियों में इत्तिहाद हो जाये तो वो शेर की भी खाल उतार सकती हैं.

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मेरे पास वक़्त नहीं है उन लोगो से नफरत करने का जो मुझसे नफरत करते हैं क्यों की में मसरूफ रहता हूँ उन लोगों में जो मुझ से मोहब्बत करते हैं.

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अगर तवक्कुल सीखना है तो परिंदों से सीखो की जब वो शाम को अपने घरों में जाते हैं तो उनकी चोंच में एक दाना भी नहीं हौता.

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किसी को अच्छे अमल से दिली ख़ुशी देना हज़ार सजदे करने से बेहतर है. —शेख सादी रहमतुल्लाह अलैह

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सब्र रखो, हर काम आसान होने से पहले मुश्किल हौता है.

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जो दूसरों के ग़म से ला-ताल्लुक है इन्सान कहलाने का मुसतहिक़ नहीं.

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दुश्मन से हमेशा बचो और दोस्त से उस वक़्त जब वो तुम्हारी तारीफ करने लगे.

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अगर तुम चाहते हो की तुम्हारा नाम बाकी रहे तो अपने बच्चों को अखलाक सिखाओ. —शेख सादी रहमतुल्लाह अलैह

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जाहिलों का तरीका यह है की जब उनकी दलील मुकाबिल के आगे नहीं चलती तो वो लड़ना शुरू कर देते हैं.

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इससे तो खामोशी बेहतर है की किसी को दिल की बात बताकर फिर कहा जाये की “किसी से ना कहना”.

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जो दुःख दे उसे छोड़ दो मगर जिसे छोड़ दो उसे दुःख ना दो.

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अगरचे इंसान को मुकद्दर से ज्यादा रिज्क नहीं मिलता मगर रिज्क की तलाश में सुस्ती नहीं करनी चाहिए

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नादान इन्सान ढोल के मानिंद होता है बुलंद आवाज़ हौता है मगर अन्दर से खाली हौता है.

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अपने हिस्से का काम किये बगैर दुआ पर भरोसा करना हिमाकत है और अपनी मेहनत पर भरोसा करके दुआ से गुरेज़ करना तकब्बुर है.

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आदमी के झूठा होने के लिए इतना ही काफी है की वह हर सुनी सुनाई बात पर यकीन कर ले.  

 

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बुरी सोहबत के दोस्तों से कांटे अच्छे हैं जो सिर्फ एक बार ज़ख्म देते हैं।

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जो दुख दे उसे छोड़ दो, मगर जिसे छोड़ दो उसे दुःख ना दो।

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मेरे पास वक़्त नहीं है उन लोगों से नफरत करने का, जो मुझसे नफरत करते हैं,
क्यों की, में मसरूफ रहता हूँ उन लोगों में जो मुझ से मोहब्बत करतें हैं।

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जब मुझे पता चला की मखमल के बिस्तर और ज़मीन पर सोने वालों के ख्वाब एक जैसे और क़बर भी एक जैसी होती है तो मुझे अल्लाह के इंसाफ पर यकीन आ गया।

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खाक से बने इंसान में अगर खाक्सारी (विनम्रता) ना हो तो उसका होना, ना होना बराबर है।

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मौत और मोहब्बत दोनों ही बिन बुलाये मेहमान होते हैं, फ़र्क़ सिर्फ इतना होता है की, मोहब्बत दिल ले जाती है और मौत धड़कन।

******* Sheikh Saadi in Hindi

निराशावाद से कभी युद्ध नहीं जीता जाता । — शेख सादी रहमतुल्लाह अलैह

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सब कुछ लुट जाने के बाद भी भविष्य बाकी रहता है।     —शेख सादी रहमतुल्लाह अलैह

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अच्छी आदतों की मालिक नेक और पाकदामन औरत किसी फ़क़ीर के घर में भी हो तो उसे बादशाह बना देती है। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

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ख़ुदा एक दरवाजा बंद करने से पहले दूसरा खोल देता है ,उसे आजमा कर देखो —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह
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बेवकूफ इन्‍सान बेवकूफी ही सिखाएगा —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

न गोयद अज सरे बाजीचा हर्फे। कर्जा पन्‍दे नगीरद साहबे होश।।
व गर सद बाबे हिकमत पेशे नादां। बख्‍बानन्‍द आयदश बाजीचह दरगोश।।

तर्जुमा- अक्‍लमन्‍द इन्‍सान खेल खेल में भी अच्‍छी तालीम हासिल कर लेता है जबकि बेवकूफ इन्‍सान बड़ी किताबों के सौ अध्‍याय पढ़ने के बाद भी बेवकूफी ही सीखता है।

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संसार में लालची आँखों को सब्र ही भर सकता है या फिर कब्र की मिट्टी —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

 

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“ऐ कनाअत तदन्गरम गरदाँ।
क वराये तो हेच नेमत नेस्त॥
“ऐ सन्तोष! मुझे दौलतमंद बना दें, क्योंकि संसार की कोई दौलत तुझसे बढ़कर नहीं है।” —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह
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अल्पाहार करने वाला आसानी से तकलीफों को सहन कर लेता है। पर जिसने सिवाय शरीर पालने के और कुछ किया ही नहीं, उस पर सख्ती की जाती है तो वह मर जाता है।”  —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

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चरित्र-हीन मूर्ख-चरित्र-हीन विद्वान् से अच्छा है, क्योंकि मूर्ख तो अन्धा होने के कारण पथभ्रष्ट हुआ, पर विद्वान् दो आँखें रखते हुए भी कुएं में गिरा।
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अपने पड़ौसी भिक्षुक से आग मत माँग, उसकी चिमनी से जो धुँआ तू निकलता देखता है, वह लौकिक आग का नहीं बल्कि उसके हृदय में सुलगी हुई दुख की आग का है।
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यदि तेरा मृत्यु-समय उपस्थित नहीं हुआ है तो शेर या चीते के मुँह में पहुँच कर भी तू जिन्दा रह सकता है।
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जो दूसरे को देखकर जलता है, उस पर जलने की जरूरत नहीं, क्योंकि दाह-रूपी शत्रु उसके पीछे लग रहा है। उससे शत्रुता करने की हमें फिर क्या जरूरत है।
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कठोर और मूर्ख मधुमक्खी से कह दो कि जो तू शहद नहीं देती तो डंक भी मत मार।
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Sheikh Saadi quotes in Hindi
Sheikh Saadi quotes in Hindi

जिसने लोगों को धोखा देने के लिए सफेद कपड़े पहिने हैं, उसने अपना भाग्य काला किया है। साँसारिक विषयों से हाथ को रोकना चाहिये। आस्तीन छोटी हो या बड़ी एक ही बात है।
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अपने परिश्रम से जुटाया हुआ अन्न सिर का और साग-रोटी से अच्छा है जो गाँव के सरदार ने दी है।
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विद्वान् की मूर्खों में वही दशा होती है जो किसी सुन्दरी की अन्धों में और धर्म-पुस्तक की नास्तिकों में।

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पत्थर सैकड़ों वर्षों में कहीं लाल बन पाता है उसे एक क्षण में पत्थर से नहीं तोड़ डालना चाहिये।

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 आत्मा… बुद्धि के इस प्रकार अधीन है, जिस तरह कोई भोला पुरुष किसी चालाक स्त्री के वश में।

रूह अक्ल के पीछे इस तरह से  है जिस तरह कोई भोला इंसान किसी चालाक औरत के वश में 

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जो साधु ईश्वर के लिए एकाँत-वास नहीं करता, उसका एकान्त-वास धुँधले शीशे की तरह है जिसमें कुछ दिखाई नहीं देता।

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यदि एक बेकार पत्थर सोने के मूल्यवान प्याले को तोड़ दे तो पत्थर मूल्यवान और सोना मूल्यहीन नहीं हो सकता।

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जबर्दस्त के साथ लड़ाई मत ठानो। जबर्दस्त के सामने अपने हाथ बगल में दबा लो।

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किसी आदमी की विद्या बुद्धि का हाल तुम एक दिन में भले ही मालूम कर लो, पर उसके मानसिक दोषों का पता तुम्हें वर्षों तक नहीं चल सकता। इसलिए किसी की विद्या आदि पर मोहित होकर उस पर एक साथ विश्वास मत करो।

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मैं न राज्य चाहता हूँ, न स्वर्ग चाहता हूँ, और न मोक्ष ही चाहता हूँ। मैं दुःखी पीड़ित प्राणियों के दुःख का नाश चाहता हूँ।

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सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है | —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

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जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

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गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है | —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

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अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

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इंसान अगर लोभ को ठुकरा दे तो बादशाह से भी ऊंचा दर्जा हासिल कर सकता है, क्‍योंकि संतोष ही इंसान का माथा हमेशा ऊंचा रख सकता है। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

अज्ञानी आदमी के लिये खामोशी से बढ़कर कोई चीज नहीं, और अगर उसमें यह समझने की बुद्धि है तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

वाणी मधुर हो तो सब कुछ वश में हो जाता है, अन्‍यथा सब शत्रु बन जाते हैं। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

वह आदमी वास्‍तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुंह से नहीं निकालता। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

लोभी को पूरा संसार मिल जाए तो भी वह, भूखा रहता है, लेकिन संतोषी का पेट, एक रोटी से ही भर जाता है। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

ग़रीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार ग़रीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

घमंड करना जाहिलों का काम है। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

जो नसीहतें नहीं सुनता, उसे लानत-मलामत सुनने का सुख होता है। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है। —शैख़ सादी  रहमतुल्लाह अलैह

खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो। —शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह

धैर्य रखें, सभी कार्य सरल होने से पहले कठिन ही दिखाई देते हैं। —शैख़ सादी  रहमतुल्लाह अलैह
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शैख़ सादी रहमतुल्लाह अलैह पर एक समय ऐसा गुज़रा जब कि उनके पास जुते नहीं थे, खाली पैर चल रहे थे जिसका उनको बड़ा एहसास था लेकिन उसी समय एक पैर कटे को देखा तो तुरंत उन्हें अल्लाह के उपकार का एहसास हुआ और अल्लाह का शुक्र अदा किया कि हे अल्लाह यदि मैं जूते से वंचित हूं तो कम से कम तूने मुझे पैर तो दे रखा है जिस से चल सकता हूं जब कि यह व्यक्ति पैर से भी वंचित है।

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7 thoughts on “Sheikh Saadi quotes in Hindi शैख सादी के अनमोल विचार

  1. कृपया संशोधन करें। इनमें आधे से ज़्यादा विचार नहजुल बलाग़ा पुस्तक से हैं जिनका शेख़ सादी से कोई मतलब नहीं है। अली इब्ने अबु तालिब का समय शेख़ सादी से कम से कम 650 साल पहले हैय़

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