सुपर 30 की कहानी !
SUPER 30 Story in Hindi
दोस्तों, आज कल कई छात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि आई आई टी (Indian Institute of Technology) में प्रवेश लेकर स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियां हांसिल करना चाहतें हैं, क्यों की IIT की डिग्री सफलता की गारंटी मानी जाती है, इसे प्राप्त कर लेने के बाद, कई बड़ी कंपनियों में लाखो रूपये सालाना पैकेज की नोकरी मिल जाती है। भारत में कुल 16 IIT संसथान हैं।
IIT में एडमिशन के लिए एक बहुत कठिन प्रवेश परीक्षा ली जाती है, केवल सर्वोत्तम छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है। सीटें कम होने की वजह से कम्पीटीशन बहुत ज्यादा है! छात्रों को प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट से कोचिंग लेनी पड़ती है।
इस कारण भारत में कोचिंग इंस्टिट्यूट का एक बड़ा व्यवसाय अस्तित्व में आ गया है, कई कोचिंग संस्थान ऐसे हैं जो इस प्रवेश परीक्षा की तयारी करवातें हैं लेकिन इन फीस बहुत ज्यादा है।
तो आप सोचिये, अगर कोई गरीब लेकिन प्रतिभावान छात्र है, और वह IIT में अध्यन करना चाहता है तो, यह उसके लिए लगभग असंभव होगा, क्यों की बिना स्पेशल ट्रेनिंग के वह लाखों छात्रों को पीछे छोड़ IIT में जगह नहीं बना पायेगा।
Super 30 Free coaching for IIT
बिहार की राजधानी पटना में एक अनोखा इंस्टिट्यूट एसा हैं, जो 30 गरीब प्रतिभावान छात्रों को फ्री कोचिंग की सुविधा के साथ साथ, रहने और खाने का भी इंतज़ाम करता है। इस संस्थान का नाम सुपर 30 है ।
आइये हम आज इस सुपर 30 को बनाने और चलाने वाले श्री आनंद कुमार जी की प्रेरणादायक कहानी सुनते हैं।
आनंद कुमार जी की प्रेरणादायक कहानी
Motivational Hindi Story of Anand Kumar Super 30
आनंद कुमार जी का जन्म पटना बिहार में हुआ। उनके पिता भारतीय पोस्टल डिपार्टमेंट में एक क्लर्क थे। उनके पिता अपने बच्चों के लिए महँगी प्राइवेट स्कूल की शिक्षा का इन्तेजाम नहीं कर सकते थे इसलिए आनंद कुमार की प्रारंभिक शिक्षा एक हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल में हुई जहाँ उन्हें गणित में गहन रूचि उत्पन्न हो गयी। अपने ग्रेजुएशन के दिनों में आनंद कुमार ने नम्बर थ्योरी पर शोध पत्र लिखा जो की मेथेमेटिकल स्पेक्ट्रम और मेथेमेटिकल गजट में छपा।
आनंद ने अपनी प्रतिभा के बल पर कैम्ब्रिज युनिवरसिटी में प्रवेश तो पा लिया लेकिन अपनी गरीबी और पिता की म्रत्यु के चलते वे कैम्ब्रिज युनिवरसिटी नहीं जा पाए। उन्होंने पटना और दिल्ली में इसके लिए स्पोंसर खोजे लेकिन उन्हें कोई भी मदद करने वाला नहीं मिला।
तब आनंद ने तय किया की वह दिन में गणित का अध्यन करेगा और शाम को अपनी माँ के साथ पापड़ बेचेगा। उनकी माँ ने पापड़ बनाने का व्यवसाय शुरू कर दिया और आनंद उसमे उनका हाथ बटाने लगे। साथ ही साथ उन्होंने बच्चों को पढाना भी शुरू कर दिया।
सन १९९२ में आनंद ने गणित पढाना शुरू किया! उन्होंने पांच सो रूपये प्रति माह पर एक कमरा किराये पर लिया और अपना रामानुज स्कूल ऑफ़ मेथेमेटिक्स शुरू किया।
सिर्फ तीन सालों में ही उनके छात्रों की संख्या 2 से बढ़कर 500 तक पहुँच गयी।
Begining of Super 30
सन 2000 में आनंद के जीवन में एक घटना घटी, उनके पास एक गरीब छात्र IIT की प्रवेश परीक्षा की कोचिंग के लिए आया, आनंद उसे पढ़ाने के लिए राज़ी हो गए, लेकिन जब उन्होंने उस छात्र से पुछा की तुम पटना में कहाँ रहोगे तो उसने बताया की वह एक बड़े घर की सीढियों के नीचे जैसे तैसे समय बिता लेगा।
इस घटना ने आनंद को झकजोर दिया! उन्होंने फेसला किया की वे अब से 30 प्रतिभावान छात्रों को न केवल मुफ्त कोचिंग देंगे बल्कि उनके रहने और खाने का भी इंतज़ाम करेंगे।
तब से लेकर आज तक आनंद हर वर्ष एक प्रतियोगिता परीक्षा लेकर 30 गरीब प्रतिभावान छात्रों को IIT प्रवेश परीक्षा की तयारी करवातें हैं।
सुपर 30 (Super 30) का परीक्षा परीणाम भी आश्चर्य जनक हैं, 30 में से लगभग 28 छात्र हर वर्ष चयनित हो जातें हैं ।
जहाँ हर शहर में लालची लोगों द्वारा शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया गया हैं ऐसे में आनंद कुमार जी की कहानी रेगिस्तान में एक छायादार वृक्ष की तरह लगती है।
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very nice sir desh ko aap pr grv h