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यकीन के दर्जे और नेमतों का हिसाब देना होगा – Net In Hindi.com

यकीन के दर्जे और नेमतों का हिसाब देना होगा

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इल्मुल यक़ीन, ऐनुल यक़ीन और सवालाते क़ियामत

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

फ़रमाने इलाही है: “हरगिज़ नहीं अगर तुम यकीनी तौर पर जानते”। यानी अगर तुम क़यामत के अहवालो वाक़ेआत को यक़ीनी तौर पर जानते, मगर तुम को तो माल की कसरत और एक दूसरे पर तफ़ाखुर ने इस बात से गाफिल कर दिया है, अगर तुम यह बात जान लेते तो तुम वो काम करते जो तुम्हारे लिये फ़ाइदा मन्द होते और उन कामों से बचते जो तुम्हारे लिये मुज़िर हैं लिहाज़ा फ़रमाया गया : अगर तुम सहीह मा’ना में इल्मे यक़ीन हासिल कर लेते, जैसा कि अम्बियाए किराम ने तुम्हें समझाया कि माल और अपने काबिले फ़न कारनामों का शुमार तुम्हें कियामत में कोई फ़ाइदा नहीं देगा, तुम ने जो माल की कसरत व तादाद पर फ़ख्न किया है उस की बदौलत तुम ज़रूर नारे जहन्नम को देखोगे चुनान्चे, खालिके कायनात ने कसम खाई कि तुम ज़रूर अपनी इन आंखों से अपने रू बरू जहन्नम और उस की शिद्दत को देखोगे।

“फिर तुम उसे ज़रूर यक़ीन की आंख से देखोगे। या’नी जहन्नम का इस तरीके से मुशाहदा करोगे कि जिसे ऐनुल यक़ीन कहा जाता है और जिस के बाद किसी शको शुबहा की गुन्जाइश बाकी नहीं रहती।

 

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मरातिबे यकीन का फर्क – यकीन के दर्जे

अगर इल्मुल यक़ीन और ऐनुल यक़ीन का फ़र्क दरयाफ़्त किया जाए तो वो यह है कि इल्मुल यकीन अम्बियाए किराम को अपनी नबुव्वत के मुतअल्लिक हासिल था और ऐनुल यक़ीन फ़रिश्तों को हासिल है जो जन्नत, दोज़ख, लौहो कलम और अर्श व कुरसी को अपनी आंखों से देखते हैं और इसी का नाम ऐनुल यक़ीन है। यूं भी कहा जा सकता है कि इल्मुल यक़ीन ज़िन्दों का, मौत और कब्रों के मुतअल्लिक इल्म है क्यूंकि वो जानते हैं कि मुर्दा कब्रों में हैं लेकिन वो यह समझने से क़ासिर हैं कि उन के साथ क्या सुलूक हो रहा है और ऐनुल यकीन मुर्दों को हासिल है क्यूंकि वह कुबूर को जन्नत का एक बाग या फिर जहन्नम का एक गढ़ा खुद देख चुके हैं।

यह भी कह सकते हो कि इल्मुल यकीन कयामत का इल्म और ऐनुल यकीन कयामत और उस की हौलनाकियों को देख लेना है।

यह भी कह सकते हो कि इल्मुल यक़ीन जन्नत और दोज़ख़ का इल्म और ऐनुल यकीन उन का देख लेना है। फ़रमाने इलाही है :

“फिर तुम उस दिन ने’मतों के बारे में ज़रूर पूछे जाओगे।”

या’नी क़यामत के दिन तुम से दुन्यावी नेमतों जैसे तन्दुरुस्ती, कुव्वते समाअत, कुव्वते बीनाई, हुसूले रिज्क के तरीके और खुर्दो नोश की तमाम अश्या के मुतअल्लिक़ पूछा जाएगा कि तुम ने इन चीज़ों को पा कर अल्लाह तआला का शुक्र भी अदा किया था ? उस की मा’रिफ़त हासिल की थी या इन्कार व कुफ्र के मुर्तकिब हुवे थे।।

इब्ने अबी हातिम और इब्ने मर्दविय्या की रिवायत है कि हज़रते जैद बिन अस्लम ने अपने वालिद से रिवायत की है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने पढ़ा कि “तुम को मालों की कसरत के मुकाबलों ने हलाक कर दिया” या’नी तुम इबादत से गाफ़िल हुवे।

“यहां तक कि तुम ने कब्रों को देखा” या’नी तुम्हें मौत आ गई। “हरगिज़ नहीं अलबत्ता तुम जान लोगे” या’नी जब तुम कब्रों में दाखिल होगे।

“फिर बेशक तुम अन करीब जान लोगे” जब तुम कब्रों से निकल कर मैदाने महशर में आओगे।

“हरगिज़ नहीं अगर तुम इल्मे यक़ीन के तौर पर जान लेते”या’नी तुम उस वक्त को जानते जब तुम अपने आ’माल समेत अल्लाह तआला की बारगाह में खड़े होगे और “जहन्नम को देख रहे होगे” यह बई तौर वाकेअ होगा कि पुल सिरात को जहन्नम के दरमियान रखा जाएगा, पस बा’ज़ मुसलमान नजात पाने वाले होंगे, बा’ज़ ज़ख्मी होंगे और बा’ज़ जहन्नम में गिराए जाएंगे।

“फिर उस दिन ज़रूर तुम से नेमतों के मुतअल्लिक सवाल किया जाएगा”(2) या’नी शिकम सेरी, सर्द मशरूबात, मकानात के साए, तुम्हारी बेहतरीन तख़्लीक़ का मस्रफ़ और नींद की आसाइशों के बारे में सवाल किया जाएगा।

हज़रते अली रज़ीअल्लाहो अन्हो का कौल है कि नेमत से मुराद तन्दुरुस्ती है। मजीद फ़रमाया कि जिस ने गेहूं की रोटी खाई, फुरात का ठन्डा पानी पिया और उस के रहने के लिये घर भी है, यही वोह ने’मतें हैं जिन के बारे में सुवाल किया जाएगा।

हज़रते अबू किलाबा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने यह आयत पढ़ कर फ़रमाया : मेरी उम्मत के लोग घी में खालिस शहद मिला कर उसे खाएंगे जिन के मुतअल्लिक़ उन से सुवाल किया जाएगा।

 

ठन्डा पानी भी एक नेमत है

हज़रते इकरमा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है कि जब यह आयत नाज़िल हुई तो सहाबए किराम राज़ी अल्लाहो अन्हुमा  ने हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम से पूछा : हमें कौन सी नेमत हासिल है ? हम ने तो कभी पेट भर कर जव की रोटी भी नहीं खाई है, अल्लाह तआला ने नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की तरफ़ वहय फ़रमाई, इन से फ़रमाइये ! तुम जूते पहनते हो और ठन्डा पानी पीते हो, क्या येह ने’मतें नहीं हैं ?

तिर्मिज़ी वगैरा की रिवायत है कि जब यह सूरत नाज़िल हुई तो सहाबए किराम रज़ीअल्लाहो अन्हुमा ने पूछा : हम से कौन सी नेमतों का सवाल होगा ! हमें तो पानी और खजूरों के सिवा कोई गिज़ा मयस्सर नहीं है.

हर वक़्त तलवारे हमारी गर्दनो में लटकी हैं और दुश्मनों से लड़ाइयों में मसरूफ रहना पड़ता है, वह कौन सी नेमत है जिस के बारे में सवाल होगा? आपने फ़रमाया जल्द ही तुम्हे नेअमतें मिलेंगी.

हजरते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मर्वी है की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया सब से पहले इन्सान से जिन नेअमतों का सवाल होगा वह यह होंगी की अल्लाह ता आला फरमाएगा मैंने तुम्हे तंदुरुस्ती नहीं दी थी और तुम्हे पीने के लिए ठंडा पानी नहीं दिया था?.

गोश्त, खजूर और ठन्डे पानी के मुताआल्लिक क़यामत में सवाल होगा

मुस्लिम वगैरह में हजरते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मर्वी है की हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम एक मर्तबा काशानाए नुबुव्वत से बहार तशरीफ़ लाये तो आप को अचानक हजरते अबू बकर और हजरते उमर रज़ीअल्लाहो अन्हो मिल गए आप ने पुछा इस वक़्त घर के बाहार किस लिए आना हुआ? अर्ज़ की हुज़ूर भूक ने हमें घरों से निकाला है. आपने फरमाया ब खुदा मै भी भूक की वजह से घर से निकला हूँ. कुछ ठहरने के बाद आप सब एक अंसारी के घर तशरीफ़ लाये मगर वह घर पर मौजूद नहीं थे, उन की बीवी ने आपको देख कर खुश आमदीद कहा. आप ने उस अंसारी के बारे में पुछा तो उस की बीवी ने अर्ज़ की हुज़ूर वह हमारे लिए ठंडा पानी लेने गए हैं. उसी वक़्त वह अंसारी सहाबी भी वापस आ गए उन्होंने हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम और हजरते अबू बकर व उमर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की देख कर कहा अलहम्दोलिल्लाह आज में इन्तेहाई बा इज्ज़त मेहमानों का शर्फे मेजबानी हांसिल कर रहा हूँ, फिर वह गए और खजूरों का एक खोशा लाये जिस में कच्ची पक्की बहुत सी खजूरें थी और अर्ज़ की तानावुल फरमाइए और छुरी उठाई तो हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया दूध देने वाली का ख्याल रखना चुनाचे उस ने बकरी ज़बह की और आप सब ने बकरी का गोश्त और खजूरें तानावुल फरमाई, पानी पिया जब खाने और पानी से सैर हो चुके तो आपने फ़रमाया ब खुदा ए अबू बकर व उमर ! तुम से क़यामत के दिन इन नेअमतों के मुताल्लिक ज़रूर सवाल किया जायेगा.

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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