Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the ad-inserter domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the json-content-importer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the add-search-to-menu domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u484288794/domains/netinhindi.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
यतीम से भलाई करना और  जुल्म से एतराज़ – Net In Hindi.com

यतीम से भलाई करना और  जुल्म से एतराज़

दोस्तों को शेयर कीजिये

यतीम से मोहब्बत करने और परवरिश करने का सवाब

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

बुख़ारी शरीफ़ की हदीस है कि मैं और यतीम की कफालत करने वाला जन्नत में ऐसे होंगे और फिर आप ने शहादत की उंगली और दरमियानी उंगली को थोड़ा सा खोल कर उन की तरफ़ इशारा फ़रमाया ।

मुस्लिम शरीफ़ की हदीस है कि हुजूर ने फ़रमाया : मैं और यतीम की परवरिश करने वाला, चाहे वो यतीम उस का अज़ीज़ हो या कोई गैर, जन्नत में ऐसे होंगे जैसे यह दो उंगलियां, और मालिक ने अंगुश्ते शहादत और दरमियानी उंगली की तरफ़ इशारा किया।

यतीम की परवरिश करने का अज़ीम सवाब

बज्जाज़ की हदीस है कि जिस ने किसी यतीम की परवरिश की, चाहे वो यतीम उस का अज़ीज़ ही क्यूं न हो, पस वोह और मैं जन्नत में ऐसे होंगे जैसे येह दोनों उंगलियां मिली हुई हैं और जिस ने तीन बेटियों की परवरिश की वो जन्नत में होगा और उसे राहे खुदा में रोज़ादारों और नमाज़ी मुजाहिद के बराबर सवाब मिलेगा ।

इब्ने माजा शरीफ़ की हदीस है कि जिस शख्स ने तीन यतीमों की परवरिश की ज़िम्मेदारी उठा ली वो उस शख्स की तरह सवाब पाएगा, जो रात को इबादत करता है और दिन को रोज़ा रखता है और राहे खुदा में जिहाद करने के लिये तल्वार ले कर निकल खड़ा होता है, मैं और वो जन्नत में ऐसे दो भाई होंगे जैसे येह दो उंगलियां मिली हुई हैं, फिर आप ने अंगुश्ते शहादत और दरमियानी उंगली को मिलाया।

तिर्मिज़ी ने ब सनदे सहीह रिवायत की है कि जिस शख्स ने किसी मुसलमान यतीम की खाने पीने के मुआमले में कफ़ालत की तो अल्लाह तआला उसे जन्नत में भेजेगा मगर येह कि वोह कोई ऐसा गुनाह करे जो लाइके बख्शिश न हो।

सभी इस्लामी विषयों टॉपिक्स की लिस्ट इस पेज पर देखें – इस्लामी जानकारी-कुरआन, हदीस, किस्से हिंदी में

 

तिर्मिज़ी की ब सनदे हसन रिवायत है कि जिस किसी ने यतीम की परवरिश की यहां तक कि वोह अपने पैरों पर खड़ा होने के लाइक हो गया तो अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत वाजिब कर देता है।

इब्ने माजा की हदीस है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि मुसलमानों का सब से बेहतर घर वोह है जिस में किसी यतीम से अच्छा सुलूक किया जाता है और एक मुसलमान का बुरा घर वोह है जिस में किसी यतीम को दुख और तक्लीफ़ पहुंचाई जाती है ।

अबू या’ला ने ब सनदे हसन रिवायत की है, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया : मैं पहला शख़्स होऊंगा जिस के लिये जन्नत का दरवाज़ा खुलेगा मगर मैं एक औरत को अपने आगे देख कर पूछूगा कि तुम कौन हो और मुझ से पहले क्यूं जा रही हो? वोह कहेगी : मैं ऐसी औरत हूं जो अपने यतीम बच्चों की परवरिश के लिये घर बैठी रही।

तबरानी की रिवायत है जिस में एक के सिवा सब रावी सिकह हैं और इस के बा वुजूद येह रिवायत मतरूक नहीं है। कसम है उस ज़ात की जिस ने मुझे हक के साथ मबऊस फ़रमाया है, अल्लाह तआला क़ियामत के दिन उस शख्स पर अज़ाब नहीं करेगा जिस ने यतीम पर रहम किया और उस से नर्म गुफ्तगू की और उस की यतीमी और कमज़ोरी पर रहम करते हुवे और अल्लाह तआला के दिये हुवे माल की वज्ह से उसे अपनी पनाह में ले लिया और उस पर ज़ियादती व जुल्म नहीं किया।

इमाम अहमद रज़ीअल्लाहो अन्हो वगैरा की हदीस है कि जिस शख्स ने अल्लाह की खुशनूदी के लिये किसी यतीम के सर पर हाथ फेरा तो उसे हर उस बाल के बदले में जो उस के हाथ के नीचे आया, नेकियां मिलेंगी और जिस शख्स ने किसी यतीम से नेकी की या उस की परवरिश की तो मैं और वोह जन्नत में दो उंगलियों की तरह होंगे।

मुहद्दिसीन की एक जमाअत ने येह हदीस रिवायत की है और हाकिम ने इस को सहीह कहा है कि अल्लाह तआला ने हज़रते याकूब . से फ़रमाया कि तेरी आंखों की बीनाई चले जाने, कमर झुक जाने और यूसुफ़ के साथ भाइयों के ना रवा सुलूक करने की वज्ह येह

है कि उन के यहां एक मरतबा भूका रोजेदार यतीम आया, उन्हों ने घर वालों के तआवुन से बकरी जब्ह कर के खाई मगर यतीम को खाना न खिलाया पस अल्लाह तआला ने उन्हें खबर दी कि मैं अपनी मख्लूक में से उसे सब से ज़ियादा महबूब रखता हूं जो यतीमों और मिस्कीनों से महब्बत रखता है और उन्हें हुक्म दिया कि खाना तय्यार करो और मिस्कीनों, यतीमों को बुला कर खिलाओ चुनान्चे, उन्हों ने ऐसा ही किया।

सहीहैन ने हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से रिवायत की है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि बेवा, यतीम और मिस्कीन की परवरिश करने वाला ऐसा है जैसे राहे खुदा में जिहाद करने वाला होता है। रावी कहता है : गालिबन आप ने येह भी फ़रमाया कि वोह उस शख्स की तरह अज्र पाता है जो रातों को इबादत करता है और दिन में रोजे से रहता है।

इब्ने माजा की हदीस है कि बेवा और मिस्कीन की निगहदाश्त करने वाला मुजाहिद फ़ी सबीलिल्लाह है और उस शख्स की तरह है जो रातों को इबादत करता है और दिन को रोज़ा रखता है ।

यतीम से मोहब्बत करने का इनाम

बुजुर्गाने सलफ़ में से एक से मन्कूल है कि मैं इब्तिदाई ज़िन्दगी में आदी शराबी और बदकार था, मैं ने एक दिन किसी यतीम को देखा तो उस से निहायत अच्छा बरताव किया जैसे बाप अपने बेटे से करता है बल्कि उस से भी उम्दा सुलूक किया। जब मैं सोया तो ख्वाब में देखा कि जहन्नम के फ़रिश्ते इन्तिहाई बे दर्दी से मुझे घसीटते हुवे जहन्नम की तरफ़ ले जा रहे हैं और अचानक वो यतीम दरमियान में आ गया और कहने लगा : इसे छोड़ दो ताकि मैं रब से इस के बारे में गुफ्तगू कर लूं मगर उन्हों ने इन्कार कर दिया, तब निदा आई : इसे छोड़ दो ! हम ने इस यतीम पर रहम करने की वजह से इसे बख़्श दिया है, फिर मैं जाग पड़ा और उसी दिन से मैं यतीमों के साथ इन्तिहाई बा वकार सुलूक करता हूं।

सादात के खाते पीते घरानों में से एक घर में सय्यिद ज़ादियां रहती थीं, खुदा का करना ऐसा हुवा कि उन का बाप फ़ौत हो गया और वो कमसिन जानें यतीम और फ़को फ़ाका का शिकार हो गई यहां तक कि उन्हों ने शर्म की वज्ह से अपना वतन छोड़ दिया, वतन से निकल कर किसी शहर की वीरान मस्जिद में ठहर गईं, उन की मां ने उन्हें वहीं बिठाया और खुद खाना लेने के लिये बाहर निकल गई । चुनान्चे, वोह शहर के एक अमीर शख्स के पास पहुंची जो मुसलमान था और उसे अपनी सारी सर गुज़श्त सुनाई मगर वोह न माना और कहने लगा : तुम ऐसे गवाह लाओ जो तुम्हारे बयान की तस्दीक करें तब मैं तुम्हारी इमदाद करूंगा और वोह औरत येह कह कर वहां से चल दी कि मैं गरीबुल वतन गवाह कहां से लाऊं ? फिर वोह एक मजूसी के पास आई और उसे अपनी कहानी सुनाई, चुनान्चे, उस मजूसी ने उस की बातों को सहीह समझ कर अपने यहां की एक औरत को भेजा कि इसे और इस की बेटियों को मेरे घर पहुंचा दो, उस शख्स ने उन की इज्जत और एहतिराम में कोई दक़ीक़ए फ़िरो-गुज़ाश्त न किया।

जब आधी रात गजर गई तो उस मुसलमान अमीर ने ख्वाब में देखा कि कयामत काइम हो गई है और नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने अपने सरे मुबारक पर लिवाउल हम्द बांधा है और एक अज़ीमुश्शान महल के करीब खड़े हैं उस अमीर ने आगे बढ़ कर पूछा : या रसूलल्लाह ! येह महल किस का है? आप ने फ़रमाया : एक मुसलमान मर्द के लिये है, अमीर ने कहा : मैं खुदा को एक मानने वाला मुसलमान हूं, हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने येह सुन कर फ़रमाया कि तुम इस बात के गवाह लाओ कि वाकई तुम मुसलमान हो। वोह बहुत परेशान हुवा तो हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने उसे उस सय्यिदा औरत की बात याद दिलाई जिस से उस ने गवाह मांगे थे। अमीर येह सुनते ही अचानक जाग खड़ा हुवा और उसे इन्तिहाई गम व अन्दोह ने आ घेरा, वोह उस सय्यिदा औरत और उन की बच्चियों की तलाश में निकल खड़ा हुवा, तलाश करते करते उस मजूसी के घर जा पहुंचा और उस से कहा कि येह सय्यिद ज़ादी और इस की बच्चियों को मुझे दे दो मगर मजूसी ने इन्कार कर दिया और बोला : मैं ने इन के सबब अज़ीम बरकतें पाई हैं, अमीर ने कहा : मुझ से हज़ार दीनार ले लो और इन्हें मेरे सिपुर्द कर दो लेकिन उस ने फिर भी इन्कार कर दिया। तब उस अमीर के दिल में उसे तंग करने का ख़याल आया और मजूसी उस की बुरी निय्यत देख कर बोला : जिन्हें तू लेने आया है, मैं उन का तुझ से ज़ियादा हक़दार हूं और तू ने ख्वाब में जो महल देखा है वोह मेरे लिये बनाया गया है, क्या तुझे अपने मुसलमान होने का फ़खर है, ब खुदा ! मैं और मेरे घर वाले उस वक़्त तक नहीं सोए जब तक कि हम सब इस सय्यिदा के हाथ पर इस्लाम नहीं लाए और मैं ने भी तेरी तरह ख्वाब में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम की जियारत की है और आप ने मुझ से फ़रमाया : क्या सय्यिद ज़ादी और इस की बेटियां तेरे पास हैं ? मैं ने अर्ज किया : जी हां ! या रसूलल्लाह ! आप ने फ़रमाया : येह महल तेरे और तेरे घर वालों के लिये है। मुसलमान अमीर येह बात सुनते ही वापस लौट गया और अल्लाह तआला बेहतर जानता है कि वोह किस हिरमान व यास के साथ वापस हुवा होगा।

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

Tags

Yateem se mohabbat, yateem ki parwarish, yateem se bhalai, yateem ke bare me hadees,

 

 

दोस्तों को शेयर कीजिये
Net In Hindi.com