ज़कात ना देने वाले लोगो का क्या होगा ?

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ज़कात अदा न करने वाले पर अजाब

(हुज्जतुल इस्लाम इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ. की किताब मुकाशफतुल क़ुलूब से हिंदी अनुवाद)

 फ़रमाने इलाही है

“और वो लोग जो ज़कात अदा करने वाले हैं।“

हज़रते अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहो अन्हो से मरवी है : हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम  ने फ़रमाया : “जो शख्स, अपने मालो दौलत का हक़ अदा नहीं करता कियामत के दिन उस के पहलू और पीठ जहन्नम के सख्त गर्म पथ्थरों से दागी जाएगी और उस का जिस्म वसीअ कर दिया जाएगा और जब कभी उस की हरारत में कमी आएगी उस को बढ़ा दिया जाएगा और दिन उस के लिये तवील कर दिया जाएगा जिस की मिक्दार पचास हज़ार साल होगी यहां तक कि बन्दों के आ’माल का फैसला होगा फिर वो जन्नत की तरफ़ अपना रास्ता इख्तियार करेगा”

फ़रमाने इलाही है :

और जो लोग सोना चांदी जम्अ करते हैं और इसे राहे खुदा में खर्च नहीं करते उन्हें अज़ाबे अलीम  की खुश खबरी दे दो जिस दिन उन के माल को जहन्नम की आग में तपाया जाएगा और इस से उन के पहलूओं, पेशानियों और पीठों को दागा जाएगा कि येह है जो कुछ तुम ने जम्अ किया था अब अपने जम्अ कर्दा माल का मज़ा चखो ।

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कियामत के दिन “फुकरा” (गरीब)  मालदारों के लिये बाइसे हलाकत होंगे.

फ़रमाने नबवी है कि “क़ियामत के दिन फुकरा, मालदारों  के लिये हलाकत का सबब बनेंगे, जब वो अल्लाह तआला की बारगाह में अर्ज करेंगे : ऐ अल्लाह ! इन्हों ने हमारे हुकूक गसब कर के हम पर जुल्म किया था। रब फ़रमाएगा : मुझे अपनी इज्जतो जलाल की क़सम ! आज मैं तुम्हें अपने जवारे रहमत में जगह दूंगा और इन्हें अपनी रहमत से दूर कर दूंगा, फिर आप सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम ने येह आयत पढ़ी :

“मालदार के माल में साइल और फ़कीर का एक मुअय्यन हक़ है”।

 

फ़रमाने नबवी है : “मे’राज की रात मेरा गुज़र एक ऐसी कौम पर हुवा जिन्हों ने आगे पीछे चीथड़े लगाए हुवे थे और जहन्नम का थोहड़, ऐलवा और बदबू दार घास जानवरों की तरह खा रहे थे। मैं ने पूछा : जिब्रील येह कौन हैं ? जिब्रील ने अर्ज़ की : हुजूर येह वो लोग हैं जो अपने माल का सदक़ा (ज़कात) नहीं देते थे। अल्लाह तआला ने नहीं बल्कि इन्हों ने खुद ही अपने आप पर जुल्म किया है”

 

अजीबो गरीब हिकायत – ज़कात अदा ना करने वाले की कब्र में अज़ाब का मंज़र

ताबेईन  की एक जमाअत हज़रते अबी सिनान रज़ीअल्लाहो अन्हो की जियारत के लिये आई, जब उन लोगों को वहां बैठे कुछ देर हो गई तो हज़रते अबी सिनान रज़ीअल्लाहो अन्हो ने कहा : हमारा एक हमसाया फ़ौत हो गया है, चलो ताजिय्यत के लिये उस के भाई के पास चलें, मुहम्मद यूसुफ़ अल फ़िरयाबी कहते हैं : हम आप के साथ रवाना हो गए और उस के भाई के पास पहुंचे तो देखा वो बहुत आहो बुका कर रहा था। हम ने उसे काफ़ी तसल्लियां दीं, सब्र की तल्कीन की मगर उस की गिर्या व जारी बराबर जारी रही। हम ने कहा : क्या तुम्हें मालूम नहीं कि हर शख्स को आखिर मर जाना है ? वो कहने लगा : येह सही है मगर मैं अपने भाई के अज़ाब पर रोता हूं। हम ने पूछा  क्या अल्लाह तआला ने तुम्हें गैब से तुम्हारे भाई के अज़ाब की खबर दी है ? कहने लगा : नहीं बल्कि हुवा यूं कि जब सब लोग मेरे भाई को दफ्न कर के चल दिये तो मैं वहीं बैठा रहा, मैं ने उस की कब्र से आवाज़ सुनी वो कह रहा था आह ! वो मुझे तन्हा छोड़ गए और मैं अज़ाब में मुब्तला हूं, मेरी नमाजें और रोजे कहां गए ? मुझ से बरदाश्त न हो सका, मैं ने उस की कब्र खोदना शुरूअ कर दी ताकि देखू मेरा भाई किस हाल में है ? जूही कब्र खुली ! मैं ने देखा उस की कब्र में आग दहक रही है और उस की गर्दन में आग का तौक पड़ा हुवा है मगर मैं महब्बत में दीवाना वार आगे बढ़ा और उस तौक को उतारना चाहा, जिस को हाथ लगाते ही मेरा येह हाथ उंगलियों समेत जल गया है।

हम ने देखा वाकेई उस का हाथ बिल्कुल सियाह हो चुका था, उस ने सिलसिलए कलाम जारी रखते हुवे कहा : मैं ने उस की कब्र पर मिट्टी डाली और वापस लौट आया। अब अगर मैं न रोऊं तो और कौन रोएगा ? हम ने पूछा : तेरे भाई का कोई ऐसा काम भी था जिस के बाइस उसे येह सज़ा मीली ? उस ने कहा : वो अपने माल की ज़कात नहीं देता था। हम बे साख्ता पुकार उठे कि येह इस फ़रमाने इलाही की तस्दीक है :

“और जो लोग हमारे फल से अता कर्दा माल में बुख्ल पार करते हैं वो इसे अपने लिये बेहतर न समझें बल्कि येह उन के लिये मुसीबत है अन करीब कियामत के  दिन उन्हे तौक पहनाया जाएगा”।

 

तेरे भाई को कियामत से पहले ही अज़ाब दे दिया गया। हज़रते मुहम्मद बिन यूसुफ़ अल फ़िरयाबी कहते हैं : हम वहां से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम के सहाबी हज़रते अबू ज़र रज़ीअल्लाहो अन्हो की ख़िदमत में आए और उन्हें सारा माजिरा सुना कर दरयाफ्त किया कि यहूदो नसारा मरते हैं मगर उन के साथ कभी ऐसा इत्तिफ़ाक़ नहीं देखा गया, इस की क्या वज्ह है ? इन्हों ने फ़रमाया : इस में कोई शक नहीं कि वो दाइमी अज़ाब में हैं मगर अल्लाह तआला तुम्हें इब्रत हासिल करने के लिये मुसलमानों की येह हालतें दिखाता है।

 

हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का इरशाद है : “ज़कात न देने वाले अल्लाह तआला के यहां यहूदो नसारा की तरह हैं, उश्र न देने वाले मजूस की तरह और जो लोग ज़कात और उश्र न दें नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम  और फरिश्तों की ज़बान से मलऊन करार पाए और उन की गवाही ना मक़बूल है”

 

और फ़रमाया : “उस शख्स के लिये खुश खबरी है जिस ने ज़कात और उश्र अदा किया और उस के लिये भी खुश खबरी है जिस पर क़यामत और ज़कात का अज़ाब नहीं है। जिस शख्स ने अपने माल की ज़कात अदा की अल्लाह तआला ने उस से अज़ाबे क़ब्र को उठा लिया, उस पर जहन्नम को हराम कर दिया, उस के लिये बिगैर हिसाब के जन्नत वाजिब कर दी और उसे क़यामत के दिन प्यास नहीं लगेगी.”

-इमाम मोहम्मद गज़ाली र.अ., किताब मुकाशफतुल क़ुलूब

 

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