Hindi Kahani – The Other Side of the Pizza
हिंदी कहानी – पिज़्ज़ा का दूसरा रुख
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एक बार एक उच्च माध्यम वर्गीय परिवार में पति पत्नी के बीच यह संवाद चल रहा था।
पत्नी : आज बाथरूम में धोने के लिए ज़्यादा कपडे मत रखना !
पति : क्यों ?
पत्नी : काम वाली बाई दो दिनों तक नहीं आएगी।
पति : क्यों ?
पत्नी : कह रही थी की उसे अपनी नवासी से मिलने गाँव जाना है।
पति : ठीक है।
(Hindi Kahani)
पत्नी : क्या में उसे 500 रूपये त्यौहार का बोनस दे दूँ ?
पति : क्यों? दिवाली आने वाली है, उस वक्त दे देना !
पत्नी : बेचारी गरीब है, अपने बेटी और नवासी से मिलने जा रही है, ये पैसे उसके अभी काम आ जायेंगे, वैसे भी महंगाई कितनी बढ़ गयी है !
पति : तुम भी बहुत जल्दी इमोशनल हो जाती हो ?
पत्नी : चिंता मत करो ! आज हम पिज़्ज़ा नहीं मगाएंगे, बिना ज़रुरत के 500 रूपये सिकी हुई ब्रेड के आठ टुकड़ों और चीज़ पर क्यों उड़ाया जाये?
पति : वाह, बहुत अच्छा, हमसे पिज़्ज़ा छीनकर नौकरानी को दोगी!
******** (Hindi Kahani)
दो दिनों की छुट्टी के बाद नौकरानी लोट आई और साफ सफाई करने लगी, पति को 500 रूपये का बोनस अभी भी अखर रहा था, इसलिए उसने सोचा क्यों न पुछा जाये, इसने उन 500 रुपयों का क्या किया ?
पति : तो तुम्हारी छुट्टी कैसी रही ?
नौकरानी : बहुत अच्छी साहब, दीदी ने 500 रूपये बोनस दिया था।
पति : तो तुम अपनी बेटी और नवासी से मिल आई ?
नौकरानी : हाँ साहब, और दो दिनों में ही मेने 500 रूपये खर्च कर दिए।
पति : अच्छा! तो तुमने क्या किया उन 500 रुपयों का? (Hindi Kahani)
नौकरानी : 150 रूपये की नवासी के लिए ड्रेस ली, 40 रूपये की गुड़ियाँ खरीदी, 50 रूपये की मिठाई ली, 60 रूपये बस का किराया हो गया, 25 रूपये की लड़की के लिए चूड़ी और 50 रूपये का दामाद के लिए एक बेल्ट ख़रीदा। 75 रूपये लड़की को दिए, नवासी के लिए कॉपी पेन्सिल खरीदने के लिए, बाकि बचे 50 रूपये पास में रहने वाली विधवा को दे दिए, बेचारी बेसहारा है साहब।
इस तरह नौकरानी ने 500 रूपये का पूरा हिसाब बता दिया।
नौकरानी का जवाब सुनकर पति सोच में पड़ गया, 500 रूपये में इतना कुछ! उसकी आँखों के सामने पिज़्ज़ा के आठ टुकड़े घूमने लगे। उसने मन में सोचा की पिज़्ज़ा के हर टुकड़े के बदले नौकरानी के वह पैसा किस तरह काम आया, पिज़्ज़ा का पहला टुकड़ा नवासी की ड्रेस, दूसरा टुकड़ा मिठाई, तीसरा टुकड़ा बस का किराया, चौथा टुकड़ा गुड़ियाँ , पांचवां टुकड़ा लड़की के लिए चूड़ी, छटा टुकड़ा दामाद के लिए बेल्ट, सातवां टुकड़ा नवासी के लिए कॉपी और पेन्सिल और आठवां टुकड़ा विधवा को मदद। (Hindi Kahani)
उसने सोचा मेने पिज़्ज़ा को अभी तक केवल एक एंगल से ही देखा था, पर आज उसकी नौकरानी ने उसे पिज़्ज़ा का दूसरा रुख दिखाया था। पिज़्ज़ा के इन आठ टुकड़ों ने उसे ज़िन्दगी का सही मायने बता दिए थे. (Hindi Kahani)
“ज़िन्दगी के लिए खर्च” या फिर “खर्च के लिए ज़िन्दगी”
“Spending for life” or “ Life for spending”
The Moral of this Hindi Kahani is
Spend for life not live to spend