Hindi Kahani- Inspiring Success story of Honda
हिंदी कहानी हौंडा की सफलता की प्रेरक कहानी
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सन १९३८ की बात हैं, जापान में मिस्टर हौंडा एक गरीब छात्र थे, जिनका सपना था की वे एक पिस्टन रिंग बनायें और उसे टोयोटा कारपोरेशन को बेच सकें ! दिन के समय वे स्कूल जाते और रात के समय पिस्टन डिज़ाइन करते ।
उन्होंने अपना सारा पैसा इस काम में लगा दिया, शादी के बाद उन्होंने अपनी पत्नी की सब ज्वेलरी भी बेचकर सारा धन इस काम में लगा दिया (भारत में यह संभव नहीं है 🙂 ) और आख़िरकार उन्होंने वह पिस्टन बना ही लिया ।
उन्होंने बड़ी कंपनी टोयोटा को यह पिस्टन दिखाया और ….टोयोटा ने उनका बनाया हुआ पिस्टन रिजेक्ट कर दिया।
मिस्टर हौंडा बहुत व्यथित और दुखी हुए, क्यों की इस काम को पूरा करने में वे दिवालिया हो चुके थे । लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि अगले दो वर्षो की कड़ी मेहनत से पिस्टन रिंग की डिज़ाइन में सुधार किया ।
नए डिज़ाइन को लेकर वो फिर टोयोटा के पास गए, इस बार टोयोटा ने उनका पिस्टन खरीद लिया और एक बड़ा आर्डर दिया।
अपनी पिस्टन फेक्टरी बनाने के लिए हौंडा को सीमेंट की ज़रुरत थी, लेकिन उस समय द्वतीय विश्व युद्ध छिड़ा हुआ था और सीमेंट उपलभ्ध नहीं थी । एक बार फिर उनका सपना असंभव लगने लगा! लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर सीमेंट कंक्रीट उत्पादन का एक नया तरीका खोज निकला। आखिरकार उनकी पिस्टन फैक्ट्री बन गयी और वे पिस्टन रिंग का निर्माण करने लगे ।
कहानी यहीं पर ख़त्म नहीं होती है, अमेरिकी लड़ाकू जहाजों ने उनकी फैक्ट्री बमबारी करके नष्ट कर दी!
रोने धोने के बजाय उन्होंने एक बहुत बढ़िया आईडिया सोच लिया ।
उन्होंने फैसला किया की वे जापान के हर सायकल विक्रेता को एक ख़त लिखेंगे और कहेंगे की युद्ध में तबाह हो जाने के बाद, जापान को पुनः गतिशील बनाने का उनके पास एक हल है । उन्होंने एक मोटर बाइक का निर्माण किया है जो सस्ती होगी और लोग उसकी सहायता से जहाँ चाहे जा सकेंगे” । फिर उन्होंने सभी विक्रेताओं से इस कंपनी में इन्वेस्ट करने के लिए कहा । १८००० में से ३००० विक्रेताओं ने हौंडा को पैसे दिए।
हौंडा ने अपनी बाइक बनायीं, मोटर सायकिल बड़ी और भारी थी! केवल कुछ जापानियों ने ही इसे ख़रीदा !!!
उन्होंने फिर अपनी डिज़ाइन में सूधार किया और एक छोटी और हलकी बाइक बनायीं और उसका नाम रखा “The Cub” । लोग हाथों हाथ उसे खरीदने लगे !!!
आज हौंडा कंपनी कितनी कामयाब है यह बताने की ज़रुरत नहीं है । हौंडा कारपोरेशन में एक लाख से भी ज्यादा लोग काम करतें हैं, और यह कंपनी टोयोटा की टक्कर की कंपनी बन गयी है ।
हौंडा ने कभी भी समस्याओ और परिस्थितियों को अपने रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने फैसला कर लिया था की सफल होने का कोई न कोई रास्ता ज़रूर होता है अगर आप वास्तव में उसके लिए समर्पित हैं ।
The Moral of this Hindi Kahani is
There is always a way to succeed if you’re really committed!
“Ultimately, our decisions determine our destiny and not our conditions”
very nice work