Hindi Kahani – Creativity pays at the end!
हिंदी कहानी – कुछ भी रचनात्मक बेकार नहीं जाता!
किसी ज़माने में, एक सूफी संत, शहर से दूर वीराने में, अपनी मिटटी और घांस फूस से बनी कुटिया में रहा करते थे। उनकी इस झोपडी से कुछ ही दुरी पर, एक छोटी नदी बहती थी। कुटिया के आस पास काफी पेड़ पोधे और घांस उग आई थी।
वह संत, मन ही मन ईश्वर का ध्यान करते रहते और उसी की याद में डूबे रहते! इसी ध्यान में उन्होंने, न जाने कब और कैसे अपने हाथो से, आस पास उगती घांस को लेकर बटना और कुछ बनाना शुरू कर दिया! जब उनका ध्यान उस और गया तो उन्होंने सोचा, की क्यों न इसे एक गोल टोकरी का आकार दिया जाये! और इस तरह घांस और तिनकों से उन्होंने एक अच्छी टोकरी बना ली।
सूफी संत अपने पास किसी तरह के सामान का संग्रह करके नहीं रखते, यहाँ तक की वह कल के लिए एक रोटी भी बचाकर नहीं रखते, इसीलिए उन्होंने वह टोकरी पास ही बहती नदी में फेंक दी। अगले दिन फिर वही बात हुई, उन्होंने कल से अधिक सुन्दर और टिकाऊ टोकरी बना ली! और फिर उसे उन्होंने नदी में नाव की तरह बहा दिया, जिस तरह छोटे बच्चे कागज़ की नाव बनाकर बारिश के पानी में बहा देते हैं । (Hindi Kahani at Netinhindi.com)
अब यह सिलसिला हर रोज़ होने लगा, हर दिन उनकी घांस की टोकरी पहले से कुछ अधिक सुन्दर, बड़ी और उपयोगी होती गई और वो इन टोकरियों को नदी में बहाते गए।
कुछ दिनों बाद उन्हें ख्याल आया की “अरे! में भी क्या व्यर्थ का काम कर रहा हूँ, घांस की टोकरियाँ बनाकर नदी में बहा देता हूँ! अगर में इसे किसी को देता तो यह उसके कुछ काम आती!” ।
यही सोचकर उन्होंने टोकरी बनाना छोड़ दिया। कुछ दिन बाद वे, नदी के किनारे टहलने निकले ।
आगे कुछ दुरी पर जाकर उन्होंने देखा की नदी किनारे बैठकर, एक बूढी औरत रो रही है! जब उन्होंने उससे रोने की वजह पूछी तो, उस औरत ने कहा “बाबा, में एक बूढी विधवा औरत हूँ, मेरा कोई सहारा नहीं है, हर रोज़ इस नदी में एक घांस से बनी सुन्दर टोकरी बहकर आती थी, जिसे गांव की औरते ख़ुशी ख़ुशी मुझसे खरीद लेतीं थी, इससे मेरे खाने का इंतज़ाम हो जाता था! लेकिन मेरी बुरी किस्मत है की, अब वो टोकरियाँ भी इस नदी में बहकर आना बंद हो गयीं हैं!
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उस दिन के बाद उन्होंने उन सूफी संत ने अपना यह रचनात्मक काम जारी रखा, और वो हर दिन अच्छी से अच्छी टोकरियाँ बनाने की कोशिश करते ताकि इससे किसी का भला हो!
Moral of this Hindi Kahani is
दोस्तों, हमारा कुछ भी रचनात्मक काम बेकार नहीं जाता, चाहे अभी आपको इसका कुछ भी अच्छा रिज़ल्ट नज़र नहीं आ रह हो, फिर भी अपने रचनात्मक काम को कभी नहीं छोड़े, एक न एक दिन वह आपके और दूसरों के लिए ज़रूर फलदायक होगा!
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