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Hindi Kahani – gusse par niyantran

Hindi Kahani – Anger management

हिंदी कहानी – गुस्से पर नियंत्रण

एक बार एक लड़का था जिसे बहुत और बात बात पर गुस्सा आ जाता था। यह  देखकर उसके बुद्धिमान पिता  ने उसे कीलो की एक थेली दी और कहा ” जब भी तुम्हे गुस्सा आये, तो तुम इस लकड़ी के तख्ते पर एक कील ठोक देना ! क्यों की पिता का आदेश था  इसलिये लड़के को यह बात माननी पड़ी।

पहले दिन लड़के ने 35 किले उस लकड़ी के तख्तें पर ठोक दी। जैसे जैसे दिन बीतते गए, लड़का अपने गुस्से पर काबू पाना कुछ हद तक सीख गया और दिन ब दिन तख्ते पर, प्रतिदिन ठोकी गयी कीलो की संख्या कम होने लगी।  लड़के ने महसूस किया की, अपने गुस्से पर काबू करना आसान है बजाय लकड़ी के तख्ते पर कील ठोकने से।

फिर एक दिन  एसा भी आया की उस दिन लड़के को एक बार भी गुस्सा नहीं आया, उसने यह बात अपने पिता को बताई।  पिता ने कहा “बहुत अच्छा ! अब तुम एसा करो, जब भी तुम अपने गुस्से पर काबू पा लो तो तुम तख्ते से एक कील निकाल लो।

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ईसी तरह दिन बीतते गए और एक दिन लड़के ने अपने पिता को बताया की तख्ते से सब कीलें निकल चुकी हैं। उसके पिता यह सुनकर उसे तख्ते के पास ले गए और कहा “मेरे बेटे ! तुमने बहुत अच्छा काम किया, लेकिन अब इस तख्ते को देखो, यह तख्ता, जो पहले खूबसूरत था, पहले जैसा कभी नहीं हो पायेगा। जब तुम गुस्से की हालत में अपशब्द कहते हो तो वह सुनने वाले के मन में और खुद तुम्हारे मन में भी एक गहरा निशान बना देता है, जिसे कभी नहीं मिटाया जा सकता।

अगर, अगली बार आप को गुस्सा आये, तो उस पर काबू करने की कोशिश कीजिये, और कड़े शब्दों के इस्तेमाल से बचिये ! क्यों की आपके द्वारा कहे शब्द कभी वापस नहीं आएंगे और आपके पछताने और माफ़ी मांगने के बावजूद स्थायी नुकसान पहुंचा चुके होंगे।

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Moral of this Hindi Kahani is

Control your anger! dont say harsh words to anyone, you may regret latter.

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