Hindi Kahani – Stop being a glass. Become a Lake in Hindi
हिंदी कहानी – ग्लास नहीं झील बनो !
एक बार, एक दुखी जवान आदमी एक बड़े संत के पास आया और उसने बताया की उसकी ज़िन्दगी में बहुत से ग़म है, और उसने पुछा की, वह इन्हें कैसे दूर कर सकता है!। संत ने उस दुखी आदमी से कहा की वह एक ग्लास पानी में एक मुठ्ठी नमक डाले और उसे पीकर देखे।
“इस पानी का स्वाद कैसा है?” संत ने पुछा
“भयानक कड़वा!” आदमी ने नमकीन पानी थूकते हुए कहा।
संत मुस्कुरा दिए, फिर उन्होंने, उस आदमी से एक मुठ्टी नमक उठाकर, साथ चलने को कहा। दोनों चुपचाप पास ही स्थित एक बड़ी झील के किनारे पहुंचे, संत ने नमक, बड़ी झील में डालने को कहा, उस आदमी ने अपने हाथ से नमक झील के पानी में गिरा दिया!
तब संत ने कहा “अब तुम इस झील के पानी में से थोडा पानी चख कर देखो!”
आदमी ने झुककर थोडा पानी हाथ में लेकर चखकर देखा, संत ने फिर पुछा “इस पानी का स्वाद कैसा है?”
“ठीक है!” उस व्यक्ति ने जवाब दिया।
“क्या तुम्हे नमक का स्वाद नहीं आया? संत ने पुछा
“नहीं!!!” उस व्यक्ति ने उत्तर दिया
संत ने उस आदमी को बैठने के लिए कहा। दोनों झील के किनारे बैठ गए, तब संत ने उस आदमी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा “ज़िन्दगी में दुःख, ग़म इस नमक की तरह है, ज़िन्दगी में नमक की तरह दुःख की मात्रा उतनी ही रहती है, पर हमें उसका कडवापन कितना महसूस होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है की, हम उसे किस मर्तबान में रखतें हैं!
“इसलिए, जब दुःख तुम पर आये, तो अपने दिल को ग्लास की तरह छोटा नहीं, बल्कि, इस झील की तरह विशाल बना लो!!! उन व्यक्तियों की तरफ देखो जो तुमसे बदतर हालत में है, उनका दुःख महसूस करने की कोशिश करो! इससे तुम्हारी सोच का दायरा बढ़ जायेगा, और तुम्हारा दुःख तुम्हे कम लगने लगेगा!!!
The Moral of this Hindi Kahani is
“Stop being a glass. Become a Lake.”
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