Hindi Story of Nirma
निरमा की सफलता की प्रेरक कहानी
अगर आप अस्सी या नब्बे के दशक में पैदा हुए हैं, तो आपने निरमा वाशिंग पाउडर का पहला सादा सा विज्ञापन दूरदर्शन पर ज़रूर देखा होगा, जिसमे एक छोटी लड़की सफ़ेद फ्रोक पहने दिखाई देती थी। यह सब सर्फ एक्सेल, हेंको, एरियल आदि दुसरे अंतरराष्ट्रिय ब्रांड आने के पहले की बात है ।
इस छोटे से विज्ञापन के पीछे एक व्यक्ति की सालों की कड़ी मेहनत थी। जिसका नाम करसन भाई पटेल था।
करसन भाई पटेल उत्तरी गुजरात के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखतें हैं। करसन भाई ने रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली! उनके सभी साथियों की नज़र में, किसी सरकारी विभाग में, लेब टेक्निशियन की नोकरी हांसिल कर लेना बहुत बढ़िया आइडिया था। कर सन भाई ने भी यही किया लेकिन उन्होंने अपनी महत्वकांक्षा को कभी छोटा या कम नहीं होने दिया।
पहले उन्होंने कॉटन मिल्स और फिर मायनिग डिपार्टमेंट में लेब टेक्नीशियन की नोकरी कर ली।
लेकिन करसन भाई ने बड़ा सपना देखा, जिसकी शुरुवात उन्होंने अपने घर के बरामदे में डिटर्जेंट पाउडर बनाने और पैक कर की । यह व्यवसाय वे अपनी सर्विस के बाद करते थे।
उन्होंने यह काम अकेले ही किया, वे खुद वाशिंग पाउडर बनाने,पेक करने और उसे सायकिल पर बेचने जाते थे!। अपने नए डिटर्जेंट पाउडर को वो बहुत कम दाम, तीन रूपये प्रति किलो में बेचते थे! जो की दुसरे डिटर्जेंट के तुलना में सिर्फ एक तिहाई था!।
इतना सस्ता डिटर्जेंट पाउडर एक इंस्टेंट सक्सेस बन गया। करसन भाई ने अपने ब्रांड का नाम “निरमा (NIRMA ) अपनी बेटी निरुपमा के नाम पर रखा!।
तीन साल तक सफलता पूर्वक डिटर्जेंट बेचने के बाद करसन भाई में सरकारी नोकरी छोड़ने का आत्मविश्वास आ गया। नोकरी छोड़ने के बाद करसन भाई ने अहमदाबाद में एक छोटी वर्कशॉप खोल ली! । निरमा ब्रांड, सारे गुजरात और महाराष्ट्र में बहुत जल्दी स्थापित हो गया, इसका कारण कम कीमत और उच्च क्वालिटी था ।
सन 1995 में करसन भाई ने निरमा इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलोजी की स्थापना की, जो की आगे चलकर गुजरात का लीडिंग इंजीनियरिंग कॉलेज बन गया।
आज निरमा ग्रुप की सालाना आय १ बिलियन डॉलर है, और इसमें पंद्रह हज़ार लोग काम करतें हैं। सन 2010 में करसन भाई को पद्मश्री से नवाज़ा गया ।
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