क्यों ख़त्म होती जा रही हैं छोटी सी गौरैया

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हॉउस स्पैरो – गौरैया House Sparrow

गौरैया या हॉउस स्पैरो एक बहुत ही छोटे आकार की चिड़िया होती है कुछ ही वर्षों पूर्व तक यह प्रत्येक शहर और गांव में देखने को मिल जाती थी पंरतु कुछ ही वर्षों में इनकी 60% आबादी नष्ट हो गई है तथा अब शहरों में यह लगभग ना के बराबर ही दिखाई देती है इनके विनाश का मुख्य कारण मानव गतिविधियां ही है.

गौरैया  या हाउस स्पैरो की कई प्रजातियां विश्व भर में पाई जाती है यह Passeridae परिवार का पक्षी है गौरैया की लंबाई 16 सेंटीमीटर होती है और इसका वजन सिर्फ 25 से 40 ग्राम के बीच में होता है. मादा गौरैया भूरे रंग की होती है तथा नर की पीठ पर सफेद और भूरे रंग के पंख होते हैं मुख्य रूप से गौरैया की प्रजातियां भूमध्य सागर, यूरोप, और एशिया में पाई जाती थी, जैसे जैसे मनुष्य दुनिया के दूसरे हिस्सों में गया गौरैया भी उसके साथ साथ वहां पहुंच गई, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिका, न्यू ज़ीलैंड आदि देशों में भी गौरैया चिड़िया मनुष्य के साथ पहुंच गई.

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गौरैया मनुष्य आबादी के साथ पूरी तरह से जुड़ी हुई हैं, यह मानव के आसपास ही रहना पसंद करती हैं जिससे कि इसे खाना और आश्रय दोनों मिल जाते हैं.

गौरैया मुख्य रूप से दानों और बीज खाना पसंद करती हैं यह सर्वाहारी होती हैं तथा कीट पतंगे फल वगैराह भी खा लेती हैं.

क्यों खत्म होती जा रही है गौरैया Why House sparrow is in danger

पिछले पांच वर्षों में ही गौरैया की आबादी 60% से भी कम हो गई है इसका मुख्य कारण मनुष्य की गतिविधियां ही जिम्मेदार हैं,  इसे इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर संस्था ने अपनी रेड लिस्ट में शामिल किया है जो की संकटग्रस्त प्रजातियों की लिस्ट है.

गौरैया का आवास खत्म हो जाता होता जा रहा है The habitat of house sparrow

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गौरैया मनुष्य के आस पास ही रहना पसंद करती है, यह मनुष्य के घर और उसके आसपास ही अपना घोंसला बनाती है, पहले घर मिट्टी लकड़ी आदि के बनाए जाते थे जिसमें गौरैया आसानी से अपना   घोंसला बना लेती थी, मिट्टी और लकड़ी से बने हुए यह घर गौरैया को एक सुरक्षित तापमान उपलब्ध करवाते थे जिससे यह भयंकर गर्मी और ठंड से बची रहती थी.

वर्तमान समय में मकान सीमेंट के बनने लगे हैं, इन सीमेंट की दीवारों में घोंसले बनाना गौरैया के लिए नामुमकिन है, तथा सीमेंट गौरैया को गर्मी और ठंड से भी नहीं बचाता है, शहरों के साथ साथ गांव में भी पक्के और कई मंजिला भवन बनने लगे हैं जिससे की गौरैया का आवास खत्म होता जा रहा है.

मानव द्वारा उर्वरकों और कीटनाशकोंका उपयोग over use of fertilizers and pesticides

मनुष्य द्वारा खेती में कीटनाशकों का और उर्वरकों का बहुत उपयोग किया जा रहा है, जिससे कीट पतंगों की संख्या बहुत कम हो गई,  गौरैया का मुख्य भोजन कीट पतंगे खत्म हो जाने से गौरैया पर भी संकट आ गया है, पहले फसलों से बीज निकालने का काम हाथों से होता था जिस वजह से थोड़े बीज खेत में इधर-उधर गिर जाए करते थे जिसे गौरैया अपना भोजन प्राप्त करती थी लेकिन अब वर्तमान समय में मशीनों से काम होने लगा है सारे बीज मशीनों से निकाल कर बोरों में पैक कर दिए जाते हैं जिससे कि गौरैया के लिए भोजन का संकट उत्पन्न हो गया.

मनुष्य द्वारा डीडीटी और अन्य कीटनाशकों का प्रयोग

मनुष्य द्वारा उपयोग में लिए जाने वाले कीटनाशक जैसे डीडीटी बहुत खतरनाक होते हैं यह वर्षों तक पानी में घुले रहते हैं तथा कई प्रजातियो को नुकसान पहुंचाते हैं वैज्ञानिकों के शोध से पता चला है कि डीडीटी रसायन पक्षियों के लिए बहुत नुकसानदायक है इससे पक्षियों के प्रजनन क्षमता बहुत कम हो जाती है, इससे कई प्रजातियों का विनाश हो रहा है गौरैया भी उन्हीं में से एक है.

गौरैया के अलावा और कौन-कौन से पशु पक्षी संकटग्रस्त होते जा रहे हैं

Which other birds and animals are in danger like house sparrow

केवल गौरैया ही नहीं बल्कि कई और पक्षी और पशु मानव गतिविधि की वजह से नष्ट हो रहे हैं इनमें से प्रमुख गिद्ध,चील,स्विफ्ट पक्षी, फाल्कन, बगुले हुद-हुद, मोर, कोयल, मेना आदि कई प्रजातियां शामिल है, पक्षियों की अधिकांश प्रजातियों पर मनुष्य की गतिविधियों की वजह से संकट मंडरा रहा है, जो पक्षी मानव बस्तियों के आसपास खेतों में पाए जाते थे उनकी संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही केवल घने जंगलों में रहने वाले पक्षी इससे बचे हुए हैं.

कई जीव भी मनुष्य गतिविधियों से संकटग्रस्त कि श्रेणी में आ गए हैं जैसे सभी प्रकार के सांप, साही खरगोश, कछुए, लोमड़ी, नेवले इत्यादि, पहले यह जीव मनुष्य के गांव के आस पास पाए जाते थे परंतु अंधाधुंध विकास और मानव की गतिविधियों की वजह से यह सारे जीव विलुप्त होते जा रहे हैं.

गौरैया को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है? What you can do to save sparrow

गौरैया और दूसरे प्रकार के पशु पक्षियों को बचाने के लिए कई पर्यावरण संस्थाएं काम कर रही हैं,  प्रसिद्ध पर्यावरणविद् मोहम्मद ई दिलावर के प्रयासों से 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है, यह सन 2010 में पहली बार मनाया गया था, इस दिन विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं जिसमें आम जनता को गौरैया को बचाने के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है.

गौरैया को बचाना कोई बहुत बड़ा मुश्किल काम नहीं है, अगर आप चाहे तो आप भी इस काम में मदद कर सकते हैं, इसके लिए सिर्फ आपको अपने घर के पास कुछ बर्ड हाउस, लकड़ी के बने हुए डिब्बे जिनमें चिड़िया अपना घोंसला बना सके स्थापित करना होगा, साथ ही साथ आपको एक मिट्टी के बर्तन में पानी और कुछ अनाज के दाने भी रोज डालने होंगे,  गौरैया को बचाने के लिए आप इतना कुछ तो कर ही सकते हैं.

अगर कुछ व्यक्ति भी अपने  पक्के मकानों की छतों पर बर्ड हाउस या लकड़ी के डिब्बे लगा लें तो गौरैया और दूसरे कई पक्षियों को बचाया जा सकता है.  आजकल बने बनाए खूबसूरत बर्डहाउस भी मिलते हैं जिन्हें खरीदकर आप अपने घर के बालकनी या छत पर लगा सकते हैं बर्डहाउस प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें  बर्ड हाउस

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