चालाक और क्रूर पक्षी है कोयल

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सबसे मीठे गीत गाने वाला पक्षी कोयल

भारतीय कोयल Indian Cuckoo in Hindi

आम के मौसम में आपने कोयल की मधुर आवाज जरूर सुनी होगी पक्षियों में शायद सबसे सुरीली आवाज कोयल की ही होती है अपनी मीठी आवाज की वजह से ही कोयल  का जिक्र कहानी कविता ओं साहित्य सभी में मौजूद है. कोयल के बारे में एक बात और प्रसिद्ध है कि यह कौवे के घोंसले में अंडे देती है पर क्या वास्तव में यह सच है? आइए जानते हैं!

भारत में पाई जाने वाली इंडियन कोयल का वैज्ञानिक नाम Indian Cuckoo (Cuculus Microptenus) है, यह Cuckoo प्रजाति का एक  पक्षी है, यह मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है, यह भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया, उत्तरी चाइना, और रूस आदि देशों में पाया जाता है कोयल बहुत शर्मीली होती है तथा हमेशा पेड़ों  की घनी टहनियों के बीच ही रहती है.

भारतीय कोयल एक मध्यम आकार की कोयल है, और इसमें नर और मादा दोनों  लगभग एक जैसे होते हैं कोयल का मुख्य भोजन इल्लियाँ हैं यह छोटे-मोटे कीट पतंगे भी  खाती है तथा कभी-कभी फल भी खाती है.

सर्दी आने पर कोयल दक्षिण की तरफ प्रवास कर जाती है

कोयल चालाक और क्रूर पक्षी होता है Cuckoo is Brood Parasite Bird

भारतीय कोयल एक ब्रूड  पैरासाइट है, ब्रुड पैरासाइट उन जीवों को कहा जाता है जो कि अपने बच्चे स्वयं बड़े नहीं करते हैं, यह व्यवहार कुछ पक्षियों कीड़ों और मछलियों में देखा गया है,  यह ब्रुड पैरासाइट जीव बच्चों की देखभाल स्वयं नहीं करते हैं बल्कि किसी और प्रजाति के घोंसले में अंडे दे देते हैं,

कोयल बहुत चालाक पक्षी होता है, किसी दूसरे पक्षी के घोंसले में अंडे देने के लिए नर कोयल उस पक्षी का ध्यान भटकाता है तथा उसे अपने घोंसले से दूर ले जाता है ताकि मादा कोयल उस पक्षी के घोंसले में अंडे दे सके, मादा कोयल मुख्यतः एक ही अंडा देती है, कोयल मुख्यतः ड्रॉन्गो, कव्वे, और ब्राउन shirkes  के घोसले में अंडा देती है, अंडा देने के बाद कोयल चालाकी से उस पक्षी के एक अंडे को खा जाती है, भारत में कोयल का प्रजनन मौसम मार्च से अगस्त तक रहता है.

कोयल के अंडे से बच्चा 12 दिन में निकल आता है,  यह कोयल का बच्चा अक्सर दूसरे अंडों या बच्चों को घोसले से बाहर गिरा देता है.

कोयल को सामान्य जनता मादा ही समझती हैं परन्तु कोयल प्रजाति में नर और मादा दोनों होते हैं.

कोयल की कुछ प्रजातियां प्रवासी होती हैं अर्थात व अंडे देने के बाद दूसरे स्थान पर प्रवास कर जाती है ऐसे में कई बार प्रश्न पूछा जाता है कि जो कोयल के नए बच्चे पैदा होते हैं वह स्वयं बिना किसी की मदद के प्रवास कैसे करते हैं,  उनके इन माइग्रेशन का कारण अनुवांशिक है, कोयल के बच्चों में प्रवास करने का समय तथा स्थान का पता लगाने का व्यवहार अनुवांशिक होता है इसे विज्ञान की भाषा में Innate behaviour कहते हैं. जीवों की कई प्रजातियां इस परिवार का उपयोग करती हैं.

कोयल क्योंकि अपने बच्चों को स्वयं बड़ा नहीं करता बल्कि इसके लिए दूसरी प्रजातियों पर निर्भर है इसलिए इसे पैरासाइट बर्ड या ब्रुड पैरासाइट बर्ड कहते हैं हैं.

भारत में अक्सर कोयल की दो प्रजातियां मुख्य रूप से देखने को मिलती है एक भारतीय कोयल तथा दूसरी एशियन कोयल,  नीचे दिए गए चित्रों मेंचित्रों में आप इनका फर्क देख सकते हैं

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